हथुआ के समीर ने गजल व शायरी में बनाई राष्ट्रीय पहचान

sameer parimal के लिए इमेज परिणामपेशे से शिक्षक समीर जिले की साहित्यिक विरासत को बना रहे समृद्ध, “दिल्ली चीखती है” और “चंद कतरें” जैसे गजल संग्रह ने दी राष्ट्रीय पहचान, साहित्यिक पत्रिका “सामयिक परिवेश” का कर रहे हैं सम्पादन

सुनील कुमार मिश्र.बिहार कथा-हथुआ

बिहार के गोपालगंजजिले के हथुआ प्रखंड अंतर्गत भरतपुरा गांव के युवा शायर समीर परिमल ने शायरी,गजल लेखन व गायिकी  सहित काव्य पाठ में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है। समीर का नाम साहित्य जगत के राष्ट्रीय फलक पर तेजी से उभरा है। एक खास अंदाज में गजल लेखन व गायन ने राष्ट्रीय स्तर पर समीर को प्रशंसकों की एक बड़ी फौज दी है। छोटे से गांव भरतपुरा के मूल निवासी समीर की प्रारंभिक व उच्च शिक्षा कस्बाई शहर हथुआ में ही हुई है, लेकिन वर्तमान में वे  राजकीय कन्या मध्य विद्यालय,राज भवन पटना में सहायक शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। पेशे से शिक्षक होने के नाते वह समाज व परिवेश को निकट से संपूर्णता में देखते हैं। उनकी रचनाओं में आमजन का असंतोष भी है तो उम्मीदें भी। प्यार के अफसाने भी हैं तो रूसवाईयां भी। समीर की रचनाएं कभी यथार्थ से नजरें चुराने वाली नहीं बल्कि सामना करने वाली होती हैं। उनकी गजलें पढ़कर और सुनकर सिर्फ सुकून ही नहीं मिलता बल्कि ऐसा एहसास होता है कि अंदर कुछ पिघल रहा है जो हमें जगााए रखता है। साहित्यिक और शैक्षणिक पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले समीर के पिता स्वर्गीय मधुसूदन प्रसाद शिक्षक और संगीतज्ञ थे। चाचा डा़  रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव शिक्षाविद् व साहित्यकार हैं। जबकि बड़ी बहन डा़ नीलम हिन्दी की प्रोफेसर व साहित्यकार हैं। समीर परिमल की प्रकाशित गजल संग्रह “दिल्ली चीखती है”और “चंद कतरें को गजल प्रेमियों ने हाथों हाथ लिया। “हम फकीरों के काबिल रही तू कहां, जा अमीरों की कोठी में मर जिंदगी” समीर की कई लोकप्रिय गजलों में से एक है।

राष्ट्रीय मंचों पर छोड़ी छाप :  आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रमों के साथ-साथ देश के विभिन्न भागों में बड़े मंचों पर कवि सम्मेलन व मुशायरे में इनकी सहभागिता हमेशा रही है।  इसके अतिरिक्त विभिन्न साझा संग्रह,पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं बराबर प्रकाशित होती रहती हैं। एक साहित्यिक पत्रिका “सामयिक परिवेश” के संपादन का कार्य भी समीर परिमल द्धारा किया जाता है। हाल ही में साझा संस्मरण संग्रह “यादों के दरीचे” का संपादन भी समीर द्धारा किया गया है। गत वर्ष एबीपी न्यूज चैनल द्धारा आयोजित महाकवि कविता कांटेस्ट के ग्लोबल विजेता के रूप समीर का चयन किया गया था। देश के विभिन्न भागों में समीर को लगातार कई सम्मान भी प्राप्त होते रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो काफी कम समय में अपनी रचनाओं के माध्यम से ऊंची साहित्यिक उड़ान भरने वाले समीर जिले की साहित्यिक विरासत को और भी समृद्ध करने का कार्य कर रहे हैं।

समीर को मिले सम्मानों की सूची

गहमर,गाजीपुर में सारस्वत सम्मान-2015 तथा
शीतल प्रसाद उपाध्याय गजल सम्मान-2016
सुल्तानपुर,यूपी में काव्यश्री सम्मान-2016
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी कला साधना सम्मान-2016
मनकापुर,यूपी में दुष्यंत कुमार गजल सम्मान-2017
गहमर,गाजीपुर में साहित्य सरोज शिक्षा प्रेरक सम्मान-2017
देहरादून,उतराखंड में साहित्य रत्न सम्मान-2017






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