बिहार में अजब गजब – सीओ साहब ने बेच दी एयरपोर्ट की जमीन!

नटवरलाल ने नहीं, सरकारी अधिकारियों ने ही बेच दिया

113 साल पूर्व सर्वे में जमुई एयरपोर्ट का वजूद था । यहां भाजपा के दिग्‍गज नेता एलके अडवानी का भी प्‍लेन लैंड हुआ था। अब हवाई अड्डा की चार एकड़ 41 डिसमिल जमीन की दो रैयतों के नाम जमाबंदी हो गई कायम।

जमुई [अरविंद कुमार सिंह, जागरण से साभार]। जमुई का खतियानी हवाई अड्डा तत्कालीन अधिकारियों ने बेच डाला। दरअसल, सदर प्रखंड के अंतर्गत झखुआ मौजा में हवाई अड्डा की गैरमजरुआ मालिक खतियानी जमीन 12 एकड़ 30 डिसमिल (खाता 100, खेसरा 150) है। 1987-88 में दाखिल खारिज वाद संख्या 973 के आदेश से जगदीश यादव के नाम दो एकड़ पांच डिसमिल जमीन की जमाबंदी कायम कर दी गई। पूर्व में यह जमाबंदी बंधु सिंह, पिता महाराज सिंह के नाम से कायम थी। इसके सृजन का आधार नहीं मिल रहा है।

बंधु सिंह के नाम हवाई अड्डा की जमीन कैसे हुई, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। इसी प्रकार दो एकड़ 36 डिसमिल जमीन की मसोमात सहोदा देवी के नाम पर जमाबंदी कायम है। यह जमीन कई टुकड़ों में बिक गई। 80 के दशक में हवाई अड्डा के लिए जमीन अधिग्रहण की भी बात सामने आ रही है। फिलहाल अधिग्रहित भूमि का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। इधर, विधायक श्रेयसी सिंह ने हवाई अड्डा के निरीक्षण के पश्चात इस मामले को विधानसभा में उठाया है। इसके बाद हवाई अड्डा की जमीन पर कब्जा जमाए लोगों के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच खलबली मच गई है। अब अंचल स्तर से पूरी रिपोर्ट संकलित कर जमाबंदी रद कराने की कवायद शुरू कर दी गई है। 1987-88 तथा 2006-07 में पदस्थापित अंचल अधिकारी से लेकर अंचल निरीक्षक एवं संबंधित कर्मचारियों पर मामले में कार्रवाई हो सकती है। हवाई अड्डा की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने भी कब्जा कर रखा है। यहां खेती की जा रही है।

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तत्कालीन मुख्यमंत्री का उतरा था विमान
जेपी सेनानी राज किशोर सिंह व भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि हवाई अड्डा का अस्तित्व 113 साल पूर्व हुए सर्वे में होना जमुई के गौरवशाली अतीत को दर्शाता है। इस हवाई अड्डे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, तत्कालीन विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा आखिरी बार 1996 में बिपीपा के संस्थापक आनंद मोहन का विमान उतरा था।

अंचल अधिकारी ने यह कहा
जमुई के अंचल अधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि खतियान में हवाई अड्डा गैरमजरूआ मालिक जमीन का 12 एकड़ 30 डिसमिल रकवा दर्ज है। उक्त जमीन की ही दो अलग जमाबंदी क्रमश: जगदीश यादव एवं सहोदा देवी के नाम कायम कर दी गई। फिलहाल जांच प्रतिवेदन समर्पित कर दिया गया है। साथ ही जमाबंदी को रद करने के लिए प्रस्ताव अग्रसारित किया जा रहा है।



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