सिवान : हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई रक्षाबंधन की महा पर्व

हर्षोल्लास के साथ मनाई गई भाई-बहन के पवित्र पर्व रक्षाबंधन, सुबह से ही सभी अपने भाई-बहनों मिलने के लिए उनकी आंखों में प्यार देखने को मिल रही थी सभी अपनी इच्छा अनुसार अपने बहनों को देने के लिए भेंड उपहार व मिठाइयां लेकर जा ते देखे गए कई वर्षों से रक्षाबंधन के पवित्र पर्व का बड़ा ही महत्व है जैसे सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षासूत्र बांधे पूरी नहीं होती प्रातःस्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी,चावल,दीपक व मिष्ठान्न आदि होते हैं पहले अभीष्ट देवता और कुल देवता की पूजा की जाती है,इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके उसकी आरती उतारी जाती है व दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है भाई,बहन को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट अवश्य देते हैं और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं यह एक ऐसा पावन पर्व है,जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है रक्षाबंधन के अनुष्ठान के पूरा होने तक व्रत रखने की भी परंपरा है यह रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है :-येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल,(तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल’)अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था,उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं,जो तुम्हारी रक्षा करेगा वही पूरे बाजार तक ग्रामीण क्षेत्र में सुबह से ही लोग अपने वाहनों द्वारा राखी बंधवाने के लिए आते जाते नजर आया।
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