निगरानी के डीएसपी ने कहा-मिथिलेश तिवारी ने किया संज्ञेय अपराध वाला भ्रष्ट काम!

पं. दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय बरौली में 50 लाख के अनुदान के गबन मामला
कार्यालय संवाददाता
बिहार कथा.गोपालगंज : पंडित दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय खजुरिया बरौली, गोपालगंज में वर्ष 2006-2008 के लिए प्राप्त सरकारी अनुदान की राशि तत्कालीन अध्यक्ष मिथिलेश तिवारी वर्तमान में बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा के विधायक एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष, तत्कालीन सचिव शिवनाथ पांडे, कॉलेज के प्राचार्य अमरेंद्र कुमार द्विवेदी ने नियम कायदे को ताख पर रख कर योग्य व्यक्तियों को लाभ से वंचित करते हुए अयोग्य व्यक्तियों को लाभ दिया. यह आरोप बिहार सरकार के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक अरुण शुक्ल ने अपनी जांच रिपोर्ट में लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा 07 मई, 2015 को निगरानी अन्वेषा ब्यूरो से की. रिपोर्ट के अनुसार कामेश्वर पांडे एवं राज हूसैन जो सरकारी सेवक के रूप में कार्यरत थे को महाविद्यालय में रख कर दो स्थानों से भुगतान कराया गया. एफआईआर की अनुशंसा रिपोर्ट के अनुसार जांच के क्रम में यह तथ्य प्रमाणित होता है कि पं. दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय गोपालगंज को पचास लाख रुपए का भुगतान राशि सत्र  2006-2008 के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी गोपालगंज के पत्रांक-46, दिनांक 27.01.11 द्वारा ड्राफ्ट संख्या 918257, दिनांक27.11.2010 के माध्यम से प्राप्त हुई. जिला शिक्षा पदाधिकारी के उपरोक्त पत्र में अनुदान राशि के वितरण के संबंध में स्पष्ट सरकारी दिशा निर्देश दिए गए थे कि दिनांक 26.03.08 तक विधिवत नियुक्त स्वीकृत मानक के अनतर्गत स्वीकृत पद के आलोक में महाविालय में कार्यकरत शिक्षक/शिक्षकेतर कर्मचारियों को चेक/एडमाईस के माध्यू से उनके खाते में स्थनांतरण करते हुए अनुदान राशि का वितरण करना था.
स्वीकृत पदों से ज्यादा शिक्षक दिखा कर बांटा गया अनुदान
रिपोर्ट के अनुसार पंडित दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय को सिर्फ कला संकाय में 11 विषयों में सत्र 1990/92 से मात्र दो सत्रों के लिए प्रस्वीकृति प्राप्त थी तथा अर्थशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र में दो, दो शेष विषयों में एक-एक शिक्षक रखने का मानक निर्धारित था, जिसके अनुसार 13 प्रस्वीकृत विषयों में रखना नियमानुकूल था. वर्ष 2006 में विज्ञान के किसी विषय या वाणिज्य में पंडित दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय को कोई प्रस्वीकृति प्रात नहीं थी. इसी प्रकार शिक्षकेतर कर्मियों के 15 पद स्वीकृत थे. जांच में यह पाया गया कि महाविद्यालय के प्रबंध समिति द्वारा बैठक में सरकारी दिशा-निर्देशों के प्रतिकूल निर्णय पारित करते हुए  प्रबंध समिति के तत्कालीन सचिव शिवनाथ पांडे (जो अव स्वर्गवासी हैं) अध्यक्ष मिथिलेश तिवारी एवं महाविद्यालय प्राचार्य अमरेंद्र कुमार द्विवेदी द्वारा  शिक्षकों व्याख्याताओं के स्वीकृत 13 पदों के विरुदध कुल 25 शिक्षकों को भुगतान किया गया है तथा शिक्षकेतर कर्मियों के स्वीकृत 15 पदों के विरुध कुल 31 शिक्षकेतर कर्मचाारियों को अनुदान राशि का भुगतान किया गया है जो विभागीय दिशा निर्देशों के अनुकूल नहीं है. इसके अलावा  प्रस्वीकृत विषय (इतिहास, भुगोल, संसकृत एवं मनोविज्ञान) में मानक स्वीकृत 1-1 पद के विरुद्ध 2-2 शिक्षकों को भुगतान किया गया है. साथ उर्दू फारसी, गणित विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, संगीत, भोजपुरी, रसायन शास्त्र एवं गृह विज्ञान विषयों में भी 1-1 शिक्षक को  अनुदान राशि का भुगतान किया गया है, जबकि इस विषयों की महाविद्यालय को प्रस्वीकृति ही नहीं थी. इससे स्पष्ट रूप से विभागीय नियमों का उल्ल्लंघन, पद का भुष्ट दुरुपयोग करते हुए वित्तीय अनियमितताएं स्पष्ट रूप से प्रमाणित होती है.
एडीएम जांच में सही पाई गई थी वेतन लेने की धांधली
उपरोक्त के अलावा आलोच्य महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा कामेश्वर पांडे  (भौतिकी, व्याख्याता एवं राज हुसैन  उर्दू व्याख्याता) के पद पर दिखाते हुए उन्हें भी अनुदान की राशि का भुगतान किया गया है, जबकि  श्रीपांडे नवसृजित प्राथमिक विद्यालय उपाध्याय खजुरिया में प्रचायत शिक्षक  के रूप में तथा राज हुसैन माझा प्रखंड के कर्मपूरा पंचायत में न्यायमित्र के पद पर कार्यरत थे तथा उन जगहों से भी दोनों वेतन/मानादेय के रूप में सरकारी राशि प्राप्त कर रहे थे. दोनों  शिक्षकों के दो जगहों से एक ही अवधि के लिए सरकारी राशि प्राप्त करने के अरोपों की जांच तत्कालीन उपर समहर्ता (एडीएम) गोपालगंज द्वारा की गई थी तथा उनके विरुद्ध अरोप सही पाए गए थे, जिसके लिए  कामेश्वर पांडे के विरुद्ध सिद्धवलिया थाना कांड संख्या-64/2011 दिनांक 26.05.11, धारा 409/420 भारतीय दंड संहिता  एवं श्री राज हुसैन के विरुध माझागढ़ थाना कांड संख्या 203/11 दिनांक 01.12.11 धारा 406/409/420 भारतीय दंड संहिता  अंकित हुआ है. एवं दोनों कांडों में संबंधित उपरोक्त अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप को सत्य पाते हुए अनुसंधानापरांत आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है जो न्यायालय में विचाराधीन है.
निगरानी की रिपोर्ट में मिथिलेश तिवारी का काम संज्ञेय अपराध वाला व भ्रष्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार जांच के दौरान साक्ष्य एवं अभिलेखीय प्रमाणों से यह तथ्य पूर्णतय स्थापित हो जाता है कि पं. दीन दयाल उपाध्याय इंटर महाविद्यालय, खजुरिया, बरौली के प्रबंधन समिति द्वारा सरकार के प्राप्त अनुदान राशि को सरकारी दिशा निर्देश के प्रतिकृत मनमाने तौर पर वितरित कर सरकारी निधि का दुर्विनियोग किया गया है तथा ऐसे व्यक्तियों को भी व्याख्याता दिखाते हुए अनुदान राशि का भुगत किया जो अन्य स्थानों पर लोक सेवक के रूप में कार्यरत थे तथा वहां से भी वेतन/मानदेय प्राप्त कर रहे थे जिसके लिए महाविद्यालय के प्रबंध समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मिथलेश तिवारी, सचिव शिवनाथ पांडे (मृत) महाविद्यालय के प्राचार्य अमरेंद्र कुमार द्विवेदी मुख्य रूप से दोषी है, जिनकी प्रबंध समिति में मुख्य भूमिका  है. साथ ही इन्हीें के द्वारा पद का भ्रष्ट दुरुपयोग कर अनुदान का वितरण कर सरकारी राशि का दुर्विनियोग कर वित्तीय अनियमितता की गई है. इसके अलावे प्रबंध समिति के अन्य सदसयों की भूमिका भी संभावित है जिनका अभ्युक्तिरण जांच के दौरान पर्याप्त सबूत संकलित कर किया जा सकता है. आरोपों द्वारा यह कृतय भारतीय दंड संहित एवं भष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के विभिन्न धाराओं के अंतर्गत संज्ञेय अपराध है.

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मिथिलेश तिवारी का फेसबुक पर ऐसा पक्ष
रिपोर्ट की खबरें जब मीडिया में प्रसारित हुए तो भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी ने फेसबुक पर यह प्रतिक्रिया दी-
12 जून, 2015 :  09.46  पूर्वाहन बजे -राज्य सरकार ने टॉपर घोटाला, इंटरमीडिएट परीक्षा घोटाला से ध्यान हटाने तथा मेरा मुंह बंद करने के उद्देश्य से मेरे ऊपर आज से 2 साल पूर्व फर्जी मुकदमा मैं अभियोजन की स्वीकृति दी है ‘ इसी मामले को लेकर महागठबंधन के कुछ बेरोजगार नेता कभी कभी मेरे ऊपर बयान बाजी करते रहते हैं ‘ उन्हें मैं बता दू कि जितना मेरे ऊपर आरोप लगाएंगे उतनी ही मेरी आवाज और बुलंद होगी ‘ जनता की अदालत से में बरी हुआ हूं और माननीय न्यायालय से भी मुझे इंसाफ मिलेगा ‘ मैं अपने समर्थक मित्रों से आग्रह करूंगा की इस मामले को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार को यह मुकदमा खोदा पहाड़ और निकली चुहिया जैसी साबित होगी

14 जून, 2015 :  दीन दयाल इंटर कॉलेज के मामले में जिन लोगों ने भी facebook ‘ पर अपना मंतव्य दिया है उन्हें मेरा संदेश है की यह मामला मई 2015 का है यह 10 साल पुराना नहीं है और मुझे बैकुंठपुर से चुनाव लड़ने से रोकने के लिए किया गया था ‘ अभी-अभी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जो अभियोजन की स्वीकृति दी है वह सर्वथा गलत है क्योंकि विधायक पर अभियोजन की स्वीकृति का अधिकार केवल विधानसभा अध्यक्ष को होता है और कॉलेज के अध्यक्ष का पद मानद पद होता है ‘ अभियोजन की कार्रवाई केवल सरकारी कर्मियों पर ही की जाती है किंतु राज्य सरकार के खिलाफ लगातार मेरा हमलावर तेवर और अपने कार्यों से बढ़ रही मेरी लोकप्रियता से घबराकर कुछ अंग्रेजी सोच वाले नेता जो दिन रात इसी कार्य में लगे रहते हैं उन्हें भी मेरा संदेश है की निगरानी के केस करने से और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा आरोपित करने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है ‘ मैं तो न्यायालय के निर्णय का इंतजार कर रहा हूं न्यायालय के निर्णय के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ‘ आजकल कुछ कुत्ते भी फेसबुक ‘ पर ज्यादा भौंक रहे है उन्हें भी मेरा संदेश है उनके भौंकने से शेर के सेहत में कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है ‘ कुत्ते तभी भोंकते हैं जब उन्हें मांस का टुकड़ा नहीं मिलता लेकिन मैं क्या करूं मैं तो शुद्ध शाकाहारी हूं ‘

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