सीवान पत्रकार हत्याकांड : सीबीआई को जांच पर आगे बढ़ने का निर्देश, लालू के लाल तेज प्रताप और शहाबुद्दीन को नोटिस
विशेष संवाददाता (biharkatha.com)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले में सीबीआई को आज जांच पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया तथा इसके साथ ही बिहार पुलिस को निर्देश दिया कि वह रंजन के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार के सीवान से मामला दिल्ली स्थानांतरित करने के रंजन की पत्नी के आग्रह पर राजद नेता शहाबुद्दीन, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र एवं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताव यादव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 अक्तूबर को अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट दायर करे। पीठ ने सीवान के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह रंजन की पत्नी आशा रंजन तथा उनके परिवार को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराएं। आशा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि मीडिया की खबरों में उसके पति के दो फरार हत्यारों को हाल में जेल से रिहा राजद नेता शहाबुद्दीन तथा स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप के साथ दिखाया गया था। उन्होंने इस आधार पर मामले की जांच तथा मुकदमा दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। रंजन की पत्नी ने याचिका में सीबीआई को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया था कि वह इस तथ्य के मद्देनजर जांच तत्काल अपने हाथ में ले ले कि भगोड़ा अपराधी मोहम्मद कैफ और मोहम्मद जावेद राजद नेता शहाबुद्दीन तथा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के साथ दिखे जहां कई पुलिसकर्मी मौजूद थे। कैफ ने 21 सितंबर को सीवान जिला अदालत में समर्पण कर दिया था। रंजन एक दैनिक अखबार में काम करते थे। सीवान शहर में 13 मई की शाम कुछ शार्प शूटरों ने रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले में आरोप लगा है कि उनकी हत्या उस समय जेल में बंद शहाबुद्दीन के इशारे पर की गई थी। याचिका में कहा गया कि रंजन के परिवार द्वारा शहाबुद्दीन का नाम लिए जाने के बावजूद सीवान पुलिस ने प्राथमिकी में प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में उसका नाम दर्ज नहीं किया। इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि चंद्रशेखर प्रसाद के तीन पुत्रों की हत्या को लेकर रंजन द्वारा लिखी गई कुछ खबरों से शहाबुद्दीन नाराज था। राजद नेता पर कई मामले चल रहे हैं और एक मामले में उसे दोषी ठहराया जा चुका है तथा उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। पटना उच्च न्यायालय ने शहाबुद्दीन को सात सितंबर को जमानत दी थी और उसे 10 सितंबर को भागलपुर जेल से रिहा कर दिया गया था। वह दर्जनों मामलों में 11 साल से जेल में बंद था।
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