गरीब हजाम के यहां जन्में और बने भोजपुरी के शेक्सपियर
45वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए भिखारी ठाकुर
छपरा। भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की 45वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। शहर में कई कार्यक्रमों को आयोजन कर भिखारी ठाकुर को याद किया जा रहा है। भिखारी ठाकुर की रचनाएं आज वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। लोक कलाकर भिखारी ठाकुर नवजागरण की उन्नत अवस्था के बेहद ही लोकप्रिय कलाकार थे। अपनी नाट्य शैली से समाज की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया। लोगों को जागरूक करने में भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर ने अहम योगदान दिया। भिखारी ठाकुर सिर्फ रचनाएं ही नहीं करते थे। बल्कि अपनी नाट्य मंडली के साथ देश के कोने-कोने यहां तक की विदेशों में भी अपनी प्रस्तुति दी। भिखारी ठाकुर के नाटकों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।
छपरा जिले के डोरीगंज थाना क्षेत्र के कुतुबपुर दियारा गांव में 18 दिसंबर 1887 को एक गरीब नाई के घर में भिखारी ठाकुर का जन्म हुआ था। अनपढ़ होते हुए भी भिखारी ठाकुर दलित चेतना के लिए सराहनीय काम किया। बेटी बेचवा, गबरघिचोर, विधवा विलाप, कलियुग प्रेम, नाई बहार, बिदेसिया भिखारी ठाकुर की प्रमुख रचनाएं हैं।
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