जैन मूर्ति की चोरी के पीछे साजिश या अंतरराष्ट्रीय चोर गिरोह?

jamui jain murtiमुकेश कुमार. जमुई।
जैन धर्म के 24 वे तीर्थकर श्रमण महावीर की दुर्लभ मूर्ति की चोरी की घटना को अंजाम देने के पीछे अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह का हाथ है या सूबे की महागठबंधन की नवगठित सरकार को बदनाम करने की साजिश! यह एक यक्ष प्रश्न है। एक सप्ताह बीतने को है। पुलिस महकमे के आलाधिकारी के नेतृत्व में उक्त मूर्ति को बरामद करने के लिए दिन-रात छापेमारी अनवरत जारी है। भागलपुर जोन के आईजी बी.एस.मीणा खुद इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हंै। विधान मंडल में माननियो के 30 नवंबर को शपथ लेने की तिथि से पूर्व 27 नवंबर को भगवान महावीर की दुर्लभ प्रतिमा को जन्मस्थान से चोर उड़ा ले गए।2600 वर्ष पुरानी भगवान महावीर की यह दुर्लभ प्रतिमा थी। आज 17 देशों में भगवान महावीर की उक्त प्रतिमा की बरामदगी के लिए उपवास और आंदोलन चल रहे है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस गंभीर मसले पर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुफ्तगू की। आनन फानन में उक्त मामले की जांच सीबीआई से करवाने की घोषणा सरकार ने कर दी। लेकिन यह मूर्ति विगत 27 नवंबर को चुराई गई जिसे चोर कभी भी उक्त निर्जन जंगल से चुरा सकते थे। मूर्ति की चोरी बहुत वर्ष पहले भी हो सकती थी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों की माने तो इस घटना के पीछे बहुत ही बड़े षड़यंत्र की व्यूह रचना की गई है। विश्वस्त सूत्रों के कयास को माने तो उक्त मूर्ति की चोरी की घटना के पीछे कतिपय कंस्ट्रक्शन कंपनी की भी संलिप्ता हो सकती है।






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