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बीस साल बाद तालिबान और सौ साल बाद गांधी
बीस साल बाद तालिबान और सौ साल बाद गांधी अरुण कुमार त्रिपाठी इतिहास सीधे चलते चलते गोल गोल घूमने लगता है। बड़ी दिखने वाली ताकतें हारने लगती हैं और पराजित दिखने वाले समूह जीतने लगते हैं। जिन मूल्यों की स्थापना के लिए दुनिया कसमें खाती है वे मूल्य ध्वस्त होने लगते हैं और जिन्हें मिटाने के लिए संकल्प लिया जाता है वे विजयी होने लगते हैं। कुछ ऐसा ही अफगानिस्तान में बीस साल बाद तालिबान की वापसी के साथ भी हो रहा है। अमेरिका ने 9/11 के हमले के बादRead More
भारत के एक मदरसे से है तालिबान के वैचारिकता का आधार
संजय तिवारी तालिबान ने युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दिया है। बिना किसी खास विरोध के तालिबान के लड़ाके काबुल में प्रविष्ट हो गये और राष्ट्रपति सहित पूरा अफगान प्रशासन काबुल से भाग खड़ा हुआ। करीब 20 साल बाद अब काबुल पर तालिबान का दोबारा कब्जा हो गया है। लेकिन ये तालिबान हैं कौन? कहां से पैदा हुए? इनकी विचारधारा किस इस्लाम से प्रेरित है? तालिब का अर्थ होता है विद्यार्थी। तालिबान का अर्थ हुआ विद्यार्थियों का समूह। आज अफगानिस्तान में “विद्यार्थियों के जिस समूह” के कारण तालिबान चर्चा मेंRead More