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भारत के विश्वगुरु का मतलब

संजय तिवारी असली विकास है मनुष्य की चेतना का विकास। भारत इसी विकास का आदिकाल से विश्वगुरु है। लेकिन चेतन व्यक्ति भोगवादी नहीं होता। जो समाज जितना चेतन होता है उतना ही त्यागवादी होता है। विकसित चेतना के लिए भोग विलास क्षण भंगुर है। भोग विलास करने के लिए मनुष्य की चेतना का पतन जरूरी है। ये जो बाजार है उसका पहला वार आपकी चेतना पर ही होता है। वह आपसे आपकी निर्णय क्षमता को छीन लेता है। इसके बाद वह आपको समझाता है कि कौन सी क्रीम लगाने सेRead More


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