Sanjay Tiwari
पुरुष के मन की वासना को मार देता है भारतीय नारी का सौंदर्य
संजय तिवारी मणिभद्र एक समय तक भाभाजी घर पर हैं की नायिका रही शिल्पा शिंदे का कैरेक्टर अंगूरी भाभी के रूप में आती रहीं। उनके चरित्र की कल्पना कुछ ऐसी की गयी थी कि वो गांव से आयी एक सीधी सादी स्त्री हैं जो देशज भाषा में बात करती हैं और सहज साज श्रृंगार करती हैं। वो एक भोली भाली महिला है जिन्हें उनका पति पगली या बौड़म तक कहता रहता है। लेकिन इस सीरियल का सफलता का सबसे बड़ा कारण बौड़म अंगूरी भाभी का कैरेक्टर ही थी। उनका सहीRead More
ओह ! दलाई लामा ने ये क्या किया
संजय तिवारी मड़ीभद्र दलाई लामा कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। जो दलाई लामा चुने जाते हैं उनक बारे में कहा जाता है कि वो बुद्ध की ही शुद्ध चेतना होती है जिसका बचपन में एक विशिष्ट विधि से खोज कर ली जाती है। दलाई लामा अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। वो तिब्बती बौद्ध संप्रदाय के जीवित देव होते हैं। उनकी एक आज्ञा या इच्छा तिब्बती बौद्धों के लिए दैवीय इच्छा के समान होती है। लेकिन उन दलाई लामा ने क्या किया? एक नौजवान से लिप लॉक किस किया। वोRead More
दुनिया में सबसे खतरनाक विचारधारा कैरियरवाद
दुनिया में सबसे खतरनाक विचारधारा कैरियरवाद संजय तिवारी मणिभद्र अगर आप मुझसे पूछें कि इस समय दुनिया में सबसे खतरनाक विचारधारा कौन सी है तो मैं कहूंगा कैरियरवाद। इस समय संसार में जितने भी तरह के वाद हैं उनमें यह कैरियकवाद सबसे खतरनाक है। कैरियरवाद से प्रभावित व्यक्ति न केवल अपने आप को नष्ट करता है बल्कि अपने कैरियर के लिए अपने आसपास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। उसके सामने एक छद्म लक्ष्य होता है जिसे पाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार होता है। उसकेRead More
उत्तर भारत का धार्मिक उत्सव ही नहीं, सामाजिक महोत्सव
उत्तर भारत का धार्मिक उत्सव ही नहीं, सामाजिक महोत्सव …. कांवड यात्रा की मीडिया में जब चर्चा होती है तो डीजे और कांवडियों के उत्पात की आड़ में सिर्फ नकारात्मक बातें ही बतायी जाती हैं। लेकिन कांवड़ यात्रा आज महाराष्ट्र के गणेश उत्सव की तरह उत्तर भारत का धार्मिक ही नहीं सामाजिक महोत्सव भी बन चुका है। ऐसे कांवड़ यात्रा की एक छोटी सी पड़ताल। …. संजय तिवारी भारत में हमारे हर प्रकार के सामाजिक, जातीय या धार्मिक क्रियाकलाप की कोई न कोई पौराणिक कहानी मिल ही जाती है। जैसेRead More
इंस्टंट बुद्धिजीवी मेकर
संजय तिवारी बुद्धि हो न हो, बुद्धिजीवी दिखने में कुछ लोग कोई कसर नहीं छोड़ते। जैसे, कुछ समय पहले तक, जब मोबाइल कैमरा नहीं आया था तब स्टुडियो जाते थे। बाकायदा ड्रेस कोड बनाते थे। इस ड्रेस कोड में चाहे पैंट शर्ट हो या फिर पाजामा कुर्ता। उस पर सदरी जरूर होती थी। फिर एक हाथ में कलम लेकर उसी हाथ को ढुड्डी से टिकाकर बैठते थे। फिर होता था क्लिक और बन जाते थे बुद्धिजीवी। मोबाइल कैमरा आ गया तो थोड़ा तरीका बदल गया है। अब चिंतक, विचारक कीRead More
लव जिहाद नहीं हैं तो कानून बनने से टेंशन क्यों ?
संजय तिवारी सोशल मीडिया पर कोई मुसलमान नहीं मिलेगा जो ईमानदारी से इस बात को स्वीकार करे कि लव जिहाद जैसी कोई बात भी होती है। लेकिन कोई सरकार अगर इसे रोकने के लिए कानून बना दे तो सब कानून को समाप्त करने के लिए कोर्ट कचहरी की शरण लेते हैं। लाखों रूपया खर्च करके हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उस कानून को चुनौती देते हैं। क्यों भाई, जब लव जिहाद जैसी कोई बात है ही नहीं तो उसे रोकने के लिए बनने वाले कानून से सिर्फ मुसलमानों को हीRead More
भारत के एक मदरसे से है तालिबान के वैचारिकता का आधार
संजय तिवारी तालिबान ने युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दिया है। बिना किसी खास विरोध के तालिबान के लड़ाके काबुल में प्रविष्ट हो गये और राष्ट्रपति सहित पूरा अफगान प्रशासन काबुल से भाग खड़ा हुआ। करीब 20 साल बाद अब काबुल पर तालिबान का दोबारा कब्जा हो गया है। लेकिन ये तालिबान हैं कौन? कहां से पैदा हुए? इनकी विचारधारा किस इस्लाम से प्रेरित है? तालिब का अर्थ होता है विद्यार्थी। तालिबान का अर्थ हुआ विद्यार्थियों का समूह। आज अफगानिस्तान में “विद्यार्थियों के जिस समूह” के कारण तालिबान चर्चा मेंRead More