rakshabandhan
भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का इतिहास
भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व रमेश सर्राफ धमोरा रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक देश का एक प्रमुख त्यौहार है। रक्षाबन्धन पर्व में रक्षासूत्र यानि राखी का सबसे अधिक महत्व है। इस पर्व के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं। इस दिन ब्राह्मण, गुरु द्वारा भी राखी बांधी जाती है। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बांधते समय पण्डित संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करतेRead More
5 देशों में पहुंची झोपडे में रहनेवाली कलाकार की बांबू राखिया
चंद्रपुर. आप माने या न माने झुग्गी में दस बाई तेरह के किराए के झोपड़े में रहनेवाली बांस कारीगर की बांबू राखिया और अन्य कुछ कलाकृतियां दुनिया के ५ देशों में पहुंची है. बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सराहना पा चुकी बांबू राखी इस वर्ष सीधे इंग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, नेदर्लांड और स्वीडन पहुंची है. हैरत की बात है कि दो वर्ष पूर्व इसी गरीब बांस कारीगर महिला को इजरायल के जेरुसलेम की एक बड़ी आर्ट स्कूल में वर्कशॉप लेने का निमंत्रण भी मिला था, पर आर्थिक कारणवश वह नहीं पहुंचRead More
सिवान : हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई रक्षाबंधन की महा पर्व
हर्षोल्लास के साथ मनाई गई भाई-बहन के पवित्र पर्व रक्षाबंधन, सुबह से ही सभी अपने भाई-बहनों मिलने के लिए उनकी आंखों में प्यार देखने को मिल रही थी सभी अपनी इच्छा अनुसार अपने बहनों को देने के लिए भेंड उपहार व मिठाइयां लेकर जा ते देखे गए कई वर्षों से रक्षाबंधन के पवित्र पर्व का बड़ा ही महत्व है जैसे सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षासूत्र बांधे पूरी नहीं होती प्रातःस्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं थाली मेंRead More
रक्षाबंधन : हे कर्णावती! मत भेजना हुमायूँ को राखी
अवधेश कुमार ‘अवध’ सावन के महीने में शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन राखी का त्यौहार न सिर्फ भारत बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का यह पर्व सिर्फ भाई – बहन तक सीमित न होकर गुरु – शिष्य, पिता – पुत्री, वरिष्ठ – कनिष्ठ, मामी – भांजा, मनुष्य – वृक्ष आदि सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों के बीच भी होता है। आज के समय में कई प्रकार की राखियों से बाजार भरा पड़ा है किन्तु इन सबके बीच एक ही सत्य कायम है किRead More
हे कर्णावती! मत भेजना हुमायूँ को राखी
अवधेश कुमार ‘अवध’ सावन के महीने में शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन राखी का त्यौहार न सिर्फ भारत बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का यह पर्व सिर्फ भाई – बहन तक सीमित न होकर गुरु – शिष्य, पिता – पुत्री, वरिष्ठ – कनिष्ठ, मामी – भांजा, मनुष्य – वृक्ष आदि सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों के बीच भी होता है। आज के समय में कई प्रकार की राखियों से बाजार भरा पड़ा है किन्तु इन सबके बीच एक ही सत्य कायम है किRead More