Pushya Mitra
मार्किट फ्रेंडली होते पर्व त्योहार और हमारा फुटपाथ वाला छठ
पुष्यमित्र वैसे तो छठ मुख्यतः बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है, फिर भी यह कोई छोटी आबादी नहीं है, तकरीबन 15 करोड़ की आबादी तो इन इलाकों में बसती ही होगी जो क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े मुल्क रूस की आबादी से अधिक ही है। और आज की तारीख में यह इस इलाके का सबसे बड़ा पर्व है, मगर इसके बावजूद आज तक इस पर्व को न तो कोई बिग बाजार हाई जेक कर सका है न फ्लिपकार्ट-अमेजन। आज भीRead More
जयंत जिज्ञासु और राजद
पुष्य मित्र —————————– कल एक मित्र से बात हो रही थी. वे कह रहे थे, बताइये राजद जैसी पार्टी जिसकी छवि गुंडों वाली पार्टी की रही है, ने जेएनयू के लिए जयंत जैसा सुलझा और विचार संपन्न कैंडिडेट चुना है. जबकि नीतीश जी की पार्टी को देखिये, सेकेंड लाइन में खाली ठेकेदार और रंगदार मिलेंगे, गुंडों की बीवियां मिलेंगी और नेताओं के बच्चे मिलेंगे. राजद जहां अपनी छवि को बदलने के लिए जमीन से जुड़े विचार में पगे लोगों को सामने ला रहा है, जबकि दूसरी पार्टियां इस बारे मेंRead More
अर्बन नक्सल
पुष्य मित्र यह सच है कि बड़े शहरों में माओवादियों के सिम्पेथाइजर रहते हैं। ये दो तरह के होते हैं। पहला जो इन माओवादी समूह के सदस्य होते हैं और इन्हें वैचारिक मजबूती प्रदान करते हैं। ऐसे लोगों का हस्तक्षेप माओवादी संगठन में भी होता है। दूसरे लोग वे होते हैं, जो मानते हैं कि माओवादियों के मुद्दे सही हैं, मगर तरीका गलत है। ये हिंसक वारदातों का विरोध करते हैं, इनका मानना होता है कि यह आंदोलन अहिंसक तरीके से चलना चाहिये। साथ ही सरकार की उन गतिविधियों परRead More
केरल- एक सुझाव : आखिर कहां जाता है मुख्यमंत्री राहत कोष का रूपया
पुष्य मित्र कम से कम तीन बाढ़ राहत अभियान से फुल टाइम जुड़े होने के अपने अनुभव से बता सकता हूँ कि सीएम रिलीफ फंड में पैसा भेजना या काफी दूर से सरकार को सामान भेज देना आपको भावनात्मक रूप से संतुष्ट तो कर सकता है मगर यह इस बात की गारंटी नहीं है कि आपके द्वारा भेजा गया पैसा या सामान वाकई पीड़ितों के काम आ जायेगा। 2008 की कोसी की बाढ़ में बिहार के सीएम रिलीफ फंड में काफी पैसा भेजा गया। मैंने आरटीआई के जरिये जानने कीRead More
डार्क हॉर्स का लेखक और लॉज मालिकों की दबंगई
पुष्य मित्र मुखर्जी नगर को आधार बना कर लेखक नीलोत्पल मृणाल ने डार्क हॉर्स उपन्यास लिखा था, कुछ वैसा ही इलाका नेहरू विहार कल से जंग का मैदान बना हुआ है. और उस जंग के मैदान में हमारा लेखक मकानमालिकों की गुंडई के खिलाफ डटा है और मार खाते हुए भी अपने युवा साथियों के हक की आवाज उठा रहा है. फेसबुक को स्क्रॉल करते हुए कल से ही यह सब पढ़ रहा हूं. याद आता है कि अपने जमाने में हमने भी यही सब झेला है. पटना के कुन-कुनRead More