Peaceful revolt of labour in lockdown

 
 

लॉकडाउन में प्रतिरोध का अनूठा अहसयोग मार्च

अरुण कुमार त्रिपाठी शहर से गांवों की ओर पलायन करते लाखों मजदूरों ने सरकार और उसके आदेश को बड़ी विनम्रता के साथ खारिज कर दिया है। यह एक तरह का असहयोग मार्च था जिसकी कोई घोषणा नहीं हुई थी और जिसका कोई नेता नहीं था। इसमें न तो कोई हिंसा थी और न ही कोई द्वेष। यह अपनी मातृभूमि के लिए प्रेम और मोह से भरा एक प्रतिरोध था जो सरकारों की शक्ति और हेकड़ी को ठेंगा दिखा रहा था। 25 मार्च को जबसे कोरोना महामारी के संक्रमण की कड़ीRead More


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