Muharam
मुहर्रम में भांजते थे बाबा धाम की लाठी
अरुण कुमार आज मुहर्रम है! नहीं पता कि मुहर्रम की शुभकामनाएं दी जाती है या कुछ और? जब तक गांव में था तब तक पता ही नहीं चला कि मुहर्रम हिन्दुओं का त्योहार है या मुसलमानों का। मेरे गांव अहियापुर में हकीम मियां ताजिया बनाते थे जिसे हमलोग ‘दाहा’ कहते थे। मेरे गांव में सभी जातियों के अलग-अलग टोले हैं लेकिन हकीम मियां का परिवार हमारी जाति के ही टोले में बस गया था। ऐसा कैसे हो गया किसी को नहीं पता। ‘दाहा’ बनाने का काम हकीम मियां दस-पन्द्रह दिनRead More
इमाम हुसैन की शहादत, सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, पूरी मानवता के लिए हैं प्रेरणा का स्रोत
ध्रुव गुप्त नेशनल स्पीक से साभार इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् के पहले महीने मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है. अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इसे अल्लाह का महीना कहा है. इस पाक़ माह में रोज़ा रखने की अहमियत बयान करते हुए उन्होंने कहा है कि रमजान के अलावा सबसे अच्छे रोज़े वे होते हैं जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं. मुहर्रम के दसवे दिन को यौमें आशुरा कहा जाता हैRead More