Indian Politice

 
 

विशेष व्यक्तित्व अटल बिहारी बाजपेयी

प्रभुनाथ शुक्ल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी आखिरकार काल से रार नहीं ठान पाए और 93 साल की जीवन यात्रा में गुरुवार 16 अगस्त शाम 5: 10 मिनट पर नई दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस लिया। 11जन को उन्हें भर्ती कराया गया था। 65 दिनों तक नई दिल्ली के एम्स में जीवन और मौत से संघर्ष करते हुए लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। राजनीति में एक ऐसी रिक्तता एंव शून्यता छोड़ चले गए जिसकी भराई भारतीय राजनीति के वर्तमान एवं इतिहास में संभवRead More


15 अगस्त की तारीख

Pushya Mitra वैसे तो बचपन से लेकर आज तक हमने कभी सोचा नहीं कि 15 अगस्त की तारीख का इसके सिवा और क्या महत्व हो सकता है कि यह हमारी आजादी की तारीख है। इस रोज हमने अंग्रेजों को भगा दिया था। देश पर अपना राज कायम हुआ था। मगर इस तारीख़ को कुछ और भी घटनाएं दुनिया में घटी थी। जैसे हमारे आजाद होने के एक साल बाद दोनों कोरिया भी इसी तारीख को आजाद हुआ और दोनों अलग अलग तरीके से इस दिन अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।Read More


क्यों नीतीश को इतना भाव देती है भाजपा?

Pushy Mitra उस वक्त जब नीतीश अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं, उनकी साख लगभग मिट्टी में मिलती नजर आ रही है. मुजफ्फरपुर कांड में पहले चुप्पी, फिर सुस्त कार्रवाई ने उनकी छवि किसी खलनायक जैसी बना दी है. ऐन उसी वक्त भाजपा राज्य सभा के उप सभापति पद के लिए जदयू के एक सांसद को उम्मीदवार बनाती है. आखिर कौन सी वजह है कि महज दो लोकसभा सीट और बहुत सीमित वोट बैंक वाली पार्टी जदयू के नेता नीतीश को भाजपा इतना भाव देतीRead More


मधेपुरा : समाजवादियों की धरती या फिर मंडल की धरती

निखिल मंडल मधेपुरा की धरती जिसे समाजवादीयों की धरती या फिर मंडल की धरती कहा जाता है वहां अक्सर लोग बी.पी.मंडल (बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल) और बी.एन.मंडल (भूपेंद्र नारायण मंडल) के नाम को लेकर कन्फ्यूज़ हो जाते है। दरअसल ये दोनों फुफेरे और ममेरे भाई थे। बी.पी.मंडल जी का पैतृक गाँव मुरहो है जबकि बी.एन.मंडल जी का रानीपट्टी। रासबिहारी मंडल जी जो बी.पी मंडल जी के पिता थे उनका ननिहाल रानीपट्टी था। 1952 के विधान सभा चुनाव में बी.पी मंडल जी और बी.एन.मंडल जी चुनाव लड़े और बी.पी मंडल जी कीRead More


मंडलवाद से कमण्डलवाद को मजबूत करना चाहती है जदयू!

गोपालगंज! राजद अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सह प्रदेश राजद के वरिष्ठ नेता प्रदीप देव एवं युवा राजद नेता संदीप यादव ने संयुक्त रूप से एक प्रेस बयान जारी कर बताया कि जदयू द्वारा आयोजित अतिपिछड़ा सम्मेलन में राजयसभा सांसद सह जदयू के राष्ट्रिय महासचिव आरसीपी सिंह जी गोपालगंज पधार रहें हैं “अतिपिछड़ा सम्मलेन सह रोड शो ” में आरसीपी सिंह न अतिपिछड़ा है न ही इनको अतिपिछड़ा सरोकार से कोई मतलब है,इसका हालिया उदाहरण जगह जगह लगे पोस्टर बैनर है, इस पोस्टर में जदयू के अतिपिछडे समाज केRead More


गोपालगंज में सम्मेलन के नाम इस तरहसे अतिपिछडों को ठग रही है जदयू!

दुर्गेश यादव.गोपालगंज.  आरसीपी सिंह आज गोपालगंज पधार रहें हैं “अतिपिछड़ा सम्मलेन सह रोड शो ” में आरसीपी सिंह न अतिपिछड़ा है न ही इनको अतिपिछड़ा सरोकार से कोई मतलब है | इसका जीवंत उदाहरण जगह जगह लगे पोस्टर हैं | इस पोस्टर में जदयू के अतिपिछडे समाज के नेताओं को कोई सम्मानजनक स्थान नहीं मिला है | यदि जिसको ये पोस्टर में सम्मानजनक स्थान नहीं दे पातें हैं उसको सत्ता में कितनी हिस्सेदारी देंगे आप सोच लीजिये | आरसीपी सर टेक्स कलेक्टर हैं इनका काम ठीकेदारों से वसूली कर केRead More


अब्दुल गफ़ूर : बिहार का एक ऐसा सीएम, जिसे दो ब्राह्मणों ने षड्यंत्र कर हटवा दिया था

स्मृति शेष  अब्दुल गफ़ूर बतौर मुख्यमंत्री 2 वर्षों तक रहे. वह 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार के सीएम रहे। 1975 में तत्कालीन प्राधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी जगह जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बनवा दिया. कहा जाता है कि गफूर के खिलाफ उनके ही दल में बड़ी साजिश की गयी जिसका उन्हें बखूबी एहसास था. केदार पाण्डे और जगन्नाथ मिश्र के बीच अब्दुल गफ़ुर पीस कर रह गए पर उन्होने हार नही माना. 1984 मे कांग्रेस के टिकट पर सिवान से जीत कर सांसद बने और वेRead More


अगला प्रधानमंत्री कोई भी हो, मेरी प्राथमिकता बीजेपी और मोदी को हराना: तेजस्वी यादव

विश्वदीपक बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नवजीवन से खास बातचीत में कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव गांधी-अंबेडकर-मंडल और गोलवलकर-गोडसे की विचारधारा के बीच होगा। ये लड़ाई देश और संविधान को बचाने की है। ये लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पिछले कुछ महीनों में अपने राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय देते हुए बिहार के उपचुनावों में अपनी पार्टी को महत्वपूर्ण जीत दिलाई है। एक तरह से देखा जाए तो उन्होंने बिहार में विपक्ष के नेतृत्वRead More


आपातकाल, स्मरण, संघर्ष और सबक

Jai Shankar Gupt इस 25-26 जून को आपातकाल की 43वीं बरसी मनाई जा रही है. इस साल भी पिछले 42 वर्षों की तरह आपातकाल के काले दिनों को याद करने की रस्म निभाने के साथ ही लोकतंत्र की रक्षा की कसमें खाई जा रही हैं। वाकई आपातकाल और उस अवधि में हुए दमन-उत्पीड़न और असहमति के स्वरों और शब्दों को दबाने के प्रयासों को न सिर्फ याद रखने बल्कि उनके प्रति चैकस रहने की भी जरूरत है ताकि देश और देशवासियों को दोबारा वैसे काले दिनों का सामना नहीं करनाRead More


ये जनता है, इसे ट्रोल मत कहो

संजय तिवारी. नई दिल्ली. इंटरनेट पर जबसे सोशल मीडिया का जोर बढ़ा है तब से एक शब्द बहुत चलन में आ गया है। ट्रोल। अखबार और टीवी मीडिया इंटरनेट पर होने वाले विरोध को इसी ट्रोल नाम से चिन्हित करती है। अगर सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति, संगठन आदि का विरोध हुआ तो घराना कॉरपोरेट मीडिया खबर लिखते समय उसे ट्रोल कहकर संबोधित कर देती है। आखिर क्या होता है ये ट्रोल और इसका असली अर्थ क्या है? ट्रोल स्पेनिश का शब्द है जो सत्रहवीं सदी में सबसे पहले इस्तेमालRead More


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