Indian Politice

 
 

बुधनमा अब दलित नहीं रहा

– नवल किशोर कुमार परिवर्तन संसार का नियम है। इसे सभी स्वीकारते हैं। चाहे वे किसी भी वाद के झंडा ढोने वाले क्यों न हों। लोकतंत्र भी इसी विश्वास पर आधारित है कि सत्ता का हस्तांतरण क्रमवार होते रहने से गतिशीलता भी बनी रहेगी और प्रतिनिधित्व के सवाल भी हल होते रहेंगे। भारतीय समाज में पहले ऐसा नहीं होता था। उच्च जातियों के लोगों की सत्ता बनी रहती थी। आज भी है लेकिन इसका स्वरूप बदला है। बुधनमा भी बदल गया है। हालांकि आज उसकी जाति दलित है, लेकिन वहRead More


पढ लिजीए; राहुल गांधी के इस घोषणा का समर्थन इसलिए है जरूरी

संजय तिवारी, नई दिल्ली।मैं राहुल गांधी की इस घोषणा का पूर्ण समर्थन करता हूं कि सरकार बनाने के बाद वो ७२ हजार रूपये हर साल गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले हर परिवार को देंगे। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनके अपने तर्क होंगे, मजबूरियां होंगी लेकिन इस घोषणा का समर्थन करना जरूरी है। हम जिस अर्थव्यवस्था में जी रहे हैं उसमें राष्ट्र लगातार मजबूत होता जाएगा लेकिन एक वर्ग को छोड़कर बाकी लोग गरीब और अवसरहीन होंगे। अवसरहीनता का असर आज भी दिखना शुरु हो गयाRead More


सरकारों को हिलाने का दम अब अब किसके पास!!! यहां है!!

दिलीप सी मंडल अब देश में 600 से ज्यादा न्यूज चैनल, सवा लाख से ज्यादा पत्र-पत्रिकाएं और और दसियों लाख वेबसाइट और यूट्यूब चैनल हैं. यहां किसने क्या लिखा-बोला का ज्यादा मतलब नहीं होता. यहां बहुत शोर है. टुच्चों का दौर है. असरदार होना अब आसान नहीं है. आपकी सबसे शानदार खबर दो घंटे बाद बर्फ सी ठंडी हो चुकी होती है. किसी बड़े पत्रकार जितना असर तो सोशल मीडिया का एक बच्चा भी पैदा कर लेता है. एक शानदार पोस्टर बना कर या एक वीडियो डालकर या एक स्लोगनRead More


परसेप्शन वार की राजनीति में सच सबसे नाजुक दौर में

पुष्यमित्र रवीश भले कहते रहें टीवी कम देखीये, मगर गांव आकर पता चल रहा है, टीवी वाले अपना काम बखूबी कर चुके हैं। यहां सबको मालूम है कि प्रधान मंत्री मोदी ने पकिस्तान को धूल चटा दी है। पकिस्तान ने उनके दहशत में आकर अभिनंदन को छोड़ा है। पूरी दुनिया में मोदी जी की तूती बोल रही है। और तो और पटना की संकल्प रैली में ऐसी भीड़ उमड़ी थी जैसी कई वर्षों में नहीं उमड़ी। अगर आप इन बातों पर असहमति जताते हैं तो जाहिर सी बात है आपRead More


चौरी-चौरा: एक बहुजन बगावत, जिससे गांधी घबरा उठे थे!

चौरी-चौरा गरीबों और निम्नवर्णीय किसानों-मजदूरों का विद्रोह था, जिसके निशाने पर अंग्रेज बेशक थे, लेकिन ये विद्रोह गांधी और कांग्रेस की जमींदारपरस्त नीतियों के खिलाफ भी था. सिद्धार्थ  4 फरवरी 1922 की चौरी-चौरा की घटना न केवल भारतीय इतिहास, बल्कि विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है. चौरी-चौरा के डुमरी खुर्द के लाल मुहम्मद, बिकरम अहीर, नजर अली, भगवान अहीर और अब्दुल्ला के नेतृत्व में किसानों ने ज़मींदारों और ब्रिटिश सत्ता के प्रतीक चौरी-चौरा थाने को फूंक दिया. इसमें अंग्रेज़ी सरकार के 23 सिपाही मारे गए.आधुनिक भारत का इतिहास चौरी-चौरा केRead More


गोपालगंज में जनकराम, गया में हरी मांझी हैं भाजपा के लिए जरूरी

जानिए क्यों नहीं कट सकता है गोपालगंज में भाजपा से जनकराम का टिकट  विशेष संवाददाता, बिहार कथा. गोपालगंज. सियासी बयार में राजनीति का उंट कब किस करवट बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर गोपालगंज से भाजपा के सांसद जनक राम के टिकट काटने को लेकर कई लोग कयास लगा रहे हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया में भी कंपने चलाए गए. लेकिन क्या होगा आगे, क्या कटेगा जनकराम का टिकट इसको लेकर कंपेन चलाने वाले लोगों में संशय बरकरार है. चुनाव की राजनीति वोटों केRead More


मंत्री पद के लिए क्यों होती है मारामारी-2

‘चेयर प्रैक्टिस’ ही है आकर्षण की वजह वीरेंद्र यादव विधायकों का वेतन व भत्ता का निर्धारण संसदीय कार्य विभाग करता है, जबकि मंत्रियों के वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाओं का निर्धारण मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग करता है। वेतन व क्षेत्रीय भत्ता विधायक और मंत्रियों को समान मिलता है। इसके अलावा अन्य सुविधाएं अलग-अलग हैं। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अनुसार, मंत्रियों को दैनिक भत्ता प्रतिदिन 2000 रुपये मिलते हैं। मंत्री बिहार में हों या बिहार से बाहर, उनके दैनिक भत्ता पूरे महीने का मिलता है। इनके दैनिक भत्ते में कटौती नहीं होतीRead More


जीत के जिम्मेदार


कटिहार: बर्खास्त राज्यपाल बन गये थे सांसद

वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 27 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) ———————————————— सांसद — कटिहार — तारिक अनवर — मुसलमान (इस्‍तीफा) विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति कटिहार — तारकिशोर प्रसाद — भाजपा — बनिया कदवा — शकील अहमद खान — कांग्रेस — मुसलमान बलरामपुर — महबूब आलम — माले — मुसलमान प्राणपुर — विनोद सिंह — भाजपा — कुशवाहा मनिहारी — मनोहर सिंह — कांग्रेस — आदिवासी बरारी — नीरज कुमार — राजद — यादव ————————————————–  2014 मेंRead More


अपनी ही रियासत में चुनाव हार गये थे दरभंगा महाराज, 2019 में क्या होगा?

वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 25 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) बिहार की प्रमुख रियासतों में एक था दरभंगा राज। संभवत: सबसे बड़ी रियासत। दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह संविधान सभा के सदस्य भी थे। संविधान को अंतिम रूप में उनकी बड़ी भूमिका था। लेकिन इससे भी बड़ा तथ्य यह है कि महाराज कामेश्वर सिंह अपनी की रियासत के तहत आने वाले दरभंगा नार्थ से 1952 में लोकसभा चुनाव हार गये थे। 1952 में दरभंगा के नाम से चार लोकसभा सीट थी।Read More


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