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आर्थिक मजबूती से बढ़ेगा हिन्दी का साम्राज्य
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाषा और भारत के प्रतिनिधित्व के सिद्धांत में हिन्दी के योगदान को सदा से सम्मिलित किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा, किन्तु वर्तमान समय उस योगदान को बाजार अथवा पेट से जोड़ने का है। सनातन सत्य है कि विस्तार और विकास की पहली सीढ़ी व्यक्ति की क्षुधा पूर्ति से जुडी होती है, अनादि काल से चलते आ रहे इस क्रम में सफलता का प्रथम पायदान आर्थिक मजबूती से तय होता हैं। वर्तमान समय उपभोक्तावादी दृष्टि और बाजारमूलकता का है, ऐसे काल खंड में भूखे पेट भजन नहीं होय गोपालाRead More
हिंदी दिवस पर जानिये बिहार के सबसे बड़े हिंदी सेवी को
#हिंदीदिवस पुष्यमित्र क्या आप जानते हैं कि यह तसवीर किनकी है? अगर आप हिंदी प्रेमी हैं तो आपको जानना चाहिए. यह महराजकुमार रामदीन सिंह की तसवीर है, जिन्होंने उन्नीसवीं सदी के आखिर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पटना में खड़ग विलास प्रेस की स्थापना की थी. इस खगड़ विलास प्रेस का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं कि आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माता कहे जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र की 80 फीसदी से अधिक किताबें इसी प्रेस से छपी थीं. उनके अलावा उस दौर के ज्यादातर हिंदी साहित्यकारRead More