History of bihar

 
 

बिहार की हिडेन हिस्ट्री : अंगुलिमाल परित्त

अंगुलिमाल परित्त पुष्यमित्र के फेसबुक टाइमलाइन से साभार यतो हम भगिनी अरियाय जातियो जातो नभि जानामि सनसिक्का पणाम जीविता वोरोपिता। तेना सक्केना सोत्ति ते होतु गबभासा। अर्थ- हे बहन, मैंने इस नए जन्म अपनी जानकारी में किसी का अहित नहीं किया है। इसलिये तुम्हारा दुख दूर होगा और तुम्हारे गर्भ में पल रहे शिशु का भी। थेरवाद(हीनयान) बौद्धों के घर में जब शिशु का जन्म होने वाला होता है, तब कोई भिक्खु आकर यह मंत्र गर्भवती स्त्री को कहता है। भावना यह होती है कि गर्भवती स्त्री का कष्ट दूर होRead More


बिहार की हिडेन हिस्ट्री : कौण्डिन्य- फुनान वंश का संस्थापक

कौण्डिन्य- फुनान वंश का संस्थापक पुष्यमित्र के फेसबुक timeline से साभार प्राचीन भारत के इतिहास में कई कौण्डिन्य का जिक्र मिलता है। एक कौण्डिन्य उन सात ब्राह्मणों में से एक था जिसने राजकुमार सिद्धार्थ के गौतम बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी और बुद्धत्व प्राप्त होने पर वह सबसे पहले उनका शिष्य बना। उसके साथ के चार अन्य शिष्य उसी की प्रेरणा से गौतम बुद्ध के शिष्य बने थे। हालांकि इतिहास इसके आगे उस कौण्डिन्य के बारे में कुछ नहीं बताता। मगर यहां हम उस कौण्डिन्य के बारे में बातRead More


बिहार की हिडेन हिस्ट्री : आजीवक-मक्खलि गोसाल

आजीवक-मक्खलि गोसाल पुष्यमित्र के facebook  से  ईसा मसीह के चरनी में जन्म लेने से अमूमन 520-30 साल पहले मगध में मक्खलि गोसाल ने अपनी गुहाल में जन्म लिया था। बाद में वह आजीवक सम्प्रदाय का सबसे बड़ा दार्शनिक साबित हुआ। उसके द्वारा स्थापित यह सम्प्रदाय उसकी मृत्यु 15-16 सौ साल बाद तक चलता रहा। यह उस मगध की धरती का सबसे बड़ा संत था, जो एक जमाने में गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर की ज्ञान की तलाश की भूमि रही है। वह मगध जो व्रात्यों और वेद, यज्ञ विरोधी निरीश्वरवादीRead More


बिहार की हिडेन हिस्ट्री : संघमित्ता-संघमित्रा

Bihar Katha

संघमित्ता-संघमित्रा पुष्यमित्र, फेसबुक से साभार श्रीलंका में दिसंबर महीने के पूर्णिमा की तिथि को एक पर्व मनाया जाता है, उदुवापा पोया. पोया का आशय संभवतः पूर्णिमा से ही है. क्योंकि वहां हर महीने की पूर्णिमा तिथि को कोई न कोई पोया पर्व मनाया जाता है. हर पोया पर्व बौद्ध धर्म से संबंधित है. उदुवापा पोया पर्व जो साल का आखिरी पर्व है, उसे एक और नाम से भी पुकारा जाता है, संघमित्ता डे. संघमित्ता डे यानी संघमित्ता दिवस. संघमित्ता मने संघमित्रा, दुनिया के सर्वकालिक महान राजा में से एक अशोकRead More


मल्लिनाथा

मल्लिनाथा पुुष्यमित्र केे फेसबुक से साभार तकरीबन तीन हजार साल पहले मिथिला में एक राजकुमारी हुआ करती थी, मल्लिनाथा। वह दिव्य सुंदरी थी। इतनी सुन्दर थी कि उसकी खूबसूरती का जिक्र सुनकर छह अलग अलग राजाओं ने उसके पिता के पास उससे विवाह का प्रस्ताव भेज दिया। मल्लिनाथा सिर्फ सुंदरी नहीं थी, वह कला मर्मज्ञ और विदुषी भी थी। उसके पिता को इनमें से किसी राजा का प्रस्ताव अपनी सर्वगुण सम्पन्न पुत्री के लिये नहीं जंचा। उन्होंने इनकार कर दिया। इस इनकार को वे राजा बर्दास्त नहीं कर पाए। उनRead More


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