Dhru Gupt
फादर्स डे : कितने बदल गए पिता !
ध्रुव गुप्त रिश्तों की दुनिया में पिता मनुष्यता के आरम्भ से अभी कुछ सदियों पूर्व तक एक रहस्य ही रहा था। विकास के लाखों सालों में यह रिश्ता परिवर्तनों के कई-कई दौर से गुजरा है। मां के ममत्व की घनी छांह तो हर युग में लगभग एक-सी ही रही है, लेकिन पिता का अपनी संतानों के साथ जुड़ाव और व्यवहार सामाजिक परिवर्तनों और परिस्थितियों के साथ लगातार बदलता रहा है। इसे रिश्ते को समझने के लिए हमें स्त्री-पुरुष के संबंध के इतिहास में जाना होगा। सृष्टि के लाखों साल बादRead More
इस पूर्व आईपीएस को पहला कौर उठाते ही अपना हाथ खून से सना क्यों नजर आने लगता है!!
गुज़रा हुआ ज़माना ! धुव्र गुप्त अपने लंबे पुलिस जीवन के कुछ अनुभव ऐसे रहे जो आज रिटायरमेंट के वर्षों बाद भी सोचने पर सुख देते हैं, दुख देते हैं और परेशान करते हैं। आज उस दौर का अपना सबसे दुखद अनुभव आपसे साझा करना चाहता हूं। बात 1981 की है जब मैं जिला ट्रेनिंग में लगभग डेढ़ सालों तक छपरा में पदस्थापित था। तब छपरा-पटना हाईवे पर डोरीगंज का क्षेत्र मार्ग डकैतों से बुरी तरह आक्रांत था। एक रात गश्ती के सिलसिले में मैं डोरीगंज के गंगा घाट परRead More
अंत का आरम्भ ?
ध्रुव गुप्त आपसी सहमति से बनाया गया विवाहेतर यौन-संबंध अब अपराध नहीं रहा। न विवाहिता स्त्री के लिए, न विवाहित पुरुष के लिए। महिलाओं के हित में संशोधन की जगह भारतीय दंड विधान की धारा 497 की समाप्ति का सुप्रीम कोर्ट का आदेश वैयक्तिक स्वतंत्रता, लैंगिक समानता और समाज की सोच में आए बदलाव की दृष्टि से प्रगतिशील फैसला जरूर लगता है, लेकिन इस फैसले का एक ऐसा भी पक्ष है जिसके बारे में विचार करना न्यायालय को शायद जरुरी नहीं लगा। क्या हमारा समाज सोच के उस स्तर तकRead More
इमाम हुसैन की शहादत, सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, पूरी मानवता के लिए हैं प्रेरणा का स्रोत
ध्रुव गुप्त नेशनल स्पीक से साभार इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् के पहले महीने मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है. अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इसे अल्लाह का महीना कहा है. इस पाक़ माह में रोज़ा रखने की अहमियत बयान करते हुए उन्होंने कहा है कि रमजान के अलावा सबसे अच्छे रोज़े वे होते हैं जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं. मुहर्रम के दसवे दिन को यौमें आशुरा कहा जाता हैRead More
आईए, पृथ्वी का क़र्ज़ उतारें !
Dhru Gupt पृथ्वी के पर्यावरण को बिगाड़ने में कारखानों से निकलने वाले धुओं और खतरनाक रसायनों से कम भूमिका प्लास्टिक या पोलीथिन कैरी बैग की नहीं है। एक पोलिथिन बैग तैयार करने के लिए सिर्फ चौदह सेकंड ही चाहिए, लेकिन इसे नष्ट होने में चौदह हज़ार साल तक लग सकते है। एक बार प्रयोग कर फेंके गए पोलिथिन बैग धूल और मिट्टी के साथ ज़मीन में दब जाते हैं जो हज़ारों सालों तक बारिश का पानी ज़मीन के भीतर नही जाने देते। ज़मीन का वह टुकड़ा धीरे-धीरे बंजर हो जाताRead More