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नीतीश को लेकर तेजस्वी को बदलनी होगी रणनीति
——– वीरेंद्र यादव —————– विधान सभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ ही पार्टियां की रणनीति बनाने और बदलने लगी है। हमने कल के अपने पोस्ट में लिखा था कि अगला विधान सभा चुनाव मुख्यमंत्री चुनने का होगा और विधायक की भूमिका प्रतीकात्मक भर रह जाएगी। वोटरों को सीधे मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव को चुनना होगा और उसी के लिए मतदान करना होगा। भाजपा और जदयू की रणनीति इसी बात पर केंद्रित है कि लालू यादव राज को बहस के केंद्र में रखा जाये।Read More
बिहार : 9 सीटों के लिए 22 या 23 मार्च को उम्मीदवार के नाम पर लगेगी मुहर
9 सीटों के लिए 22 या 23 मार्च को उम्मीदवार के नाम पर लगेगी मुहर ————————————————— वीरेंद्र यादव के साथ ‘40 सीटों का चालीसा’-2 —————————————– पहले चरण में 4 और दूसरे चरण में 5 सीटों के लिए मतदान होगा। इन 9 सीटों के लिए दोनों पक्षों के उम्मीदवारों की सीटों और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होली के बाद 22 या 23 मार्च को हो सकती है। प्रथम चरण के नामांकन की अंतिम तारीख 25 मार्च और दूसरे चरण में नामांकन की आखिरी तारीख 26 मार्च है। प्रथम चरण मेंRead More
लोकतंत्र, ओपनियन मेकिंग और जाति!
दिलीप मंडल लोकतंत्र, ओपनियन मेकिंग और जाति! हर पार्टी के नेता ब्राह्मणों को खुश इसलिए नहीं करना चाहते कि उनकी संख्या ज्यादा है. बात संख्या की नहीं है. संख्या सबकुछ नही है. एक ब्राह्मण पूरे गांव या मोहल्ले की ओपिनियन बनाने की क्षमता रखता है. वह पान दुकान में खड़ा होता है, तो अपनी बात आत्मविश्वास से कहता है. बस और ट्रेन में होता है, तो अपनी बात दम के साथ कहता है. झूठ भी आत्मविश्वास के साथ बोलता है. उसकी बात सुनी और मानी जाती है. वह मीडिया मेंRead More
कौन मिटाएगा जाति?
दिलीप मंडल जो बनाता है, वही मिटाता है. जाति तुमने बनाई है. तुम्हीं से मिटवाएंगे. हम लोग मिटा भी नहीं सकते. इसलिए बाबा साहेब ने एनिहिलेशन ऑफ कास्ट का भाषण जात-पाति तोड़क मंडल की सभा के लिए लिखा था. वह अछूतों की सभा नहीं थी.लाहौर के आर्यसमाजियों की सभा थी. बाबा साहेब आर्यसमाजियों को बता रहे थे कि जाति से उनको कितना नुकसान हुआ है. वे किस तरह बीमार हो गए हैं. बाबा साहेब की चिंता ये भी थी कि सवर्ण अपनी बीमारी अपने तक नहीं रखते. वे पूरे देश कोRead More
‘कोईरी के देवता’ नहीं हैं कुशवाहा
वीरेंद्र यादव राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सुप्रीमो हैं उपेंद्र कुशवाहा। कोईरी के देवता नहीं हैं। ‘कोईरी का देवता’ मुहाबरा है। माना जाता है कि कोईरी के देवता काफी सीधा-साधा होते हैं। करीब पिछले दो दशक से संसदीय राजनीति में महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों का निर्वाह कर रहे उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के खिलाफ लडा़ई लड़ते रहे हैं। हालांकि उनकी राजनीति की शुरुआत भी नीतीश कुमार की छत्रछाया में शुरू हुई थी। उपेंद्र कुशवाहा पहली बार 2000 में जन्हादा से विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वे समता पार्टी के विधायक थे।Read More
वैशाली: राजपूत-भूमिहार के वर्चस्व को तोड़ने की चुनौती
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 24 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) ———————————————— वैशाली लोकसभा की छह सीटों में से 5 विधान सभा सीट मुजफ्फरपुर जिले की हैं, जबकि एकमात्र वैशाली विधानसभा सीट वैशाली जिले की है। इस सीट से निर्वाचित सभी सांसद राजपूत या भूमिहार जाति के ही होते रहे हैं। इस सीट से राजद के तीन विधायक हैं और तीनों यादव जाति के ही हैं। कांटी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अशोक चौधरी पासी जाति के हैं और निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं।Read More
जयंती पर याद किए गए पूर्व पीएम वीपी सिंह
Bihar Katha, Goplganj. पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को उनकी 87वें जन्मदिन पर याद किया गया. दलित ओबीसी जन जागणरण मंच की ओर से आयोजित एक सभा में वी पी सिंह के कार्यो को याद किया गया. संघ के संयोजक संजय कुमार ने कहा कि वीपी सिंह इस देश मे मानव और मानवता की भलाई के लिए फैसले लेने वाले गौतम बुद्ध और शाहूजी महाराज के बाद पैदा होने वाले मात्र तीसरे राजा, जिनके 7 अगस्त 1990 को लिए गए फैसले की वजह से ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27Read More