Bihar
बिहार का वह सीएम जिसने पहले कागज और फिर देह पर ‘साइन’ कर दिया
मुख्यमंत्री ने पहले कागज और फिर देह पर ‘साइन’ कर दिया — बिहार-झारखंड: राजनेताओं की रंगरेलियां 2 — वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार, पटना बिहार विधान मंडल की पूर्व सदस्य रमणिका गुप्ता अपनी आत्मकथा में लिखती हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर धनबाद में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कई ख्यातिलब्ध कवियों ने शिरकत की। मुख्यमंत्री भी आये। इसका आयोजन रमणिका गुप्ता ने ही किया था। कवि सम्मेलन के बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें पटना आने का बुलावा दिया। इस घटना के बाद रमणिका का प्रभाव कोयलांचल मेंRead More
…और अंधविश्वास में बर्बाद हुआ बिहार का एक महीना
– नवल किशोर कुमार सचमुच भारत अंधविश्वासी देश है। अंधविश्वास को जितना प्रश्रय यहां हर स्तर पर दिया जाता है, उतना किसी और देश में शायद ही होता हो। अब बीते चार दिन पहले मेट्रो स्टेशन पर एक नजारा दिखा। दफ्तर से अपने रहवास आने के क्रम में एक मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलते वक्त सीढ़ी पर अचानक भीड़ लग गयी। मैं चौंक गया। आखिर वजह क्या हुई कि लोग अचानक से रूक गए हैं। क्या आगे कोई खतरा है!? इससे पहले कि किसी से पूछता, एक बिल्ली चुपके सेRead More
बिहार की भ्रामक राजनीतिक स्थिति
भ्रामक राजनीतिक स्थिति प्रेमकुमार मणि बिहार में भाजपा -जदयू – लोजपा का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है . तीसरे नंबर का घटक लोजपा तो इस गठबंधन में है भी या नहीं ,यह यकीनी तौर पर नहीं कहा जा सकता . भाजपा की ओर से देखने पर वह है , लेकिन जदयू की तरफ से देखने पर नहीं है . विधानसभा के विगत चुनाव में लोजपा ने जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार कर उनकी खटिया खड़ी कर दी थी . 115 सीटोंRead More
कितना बदला बिहार : राजद के पन्द्रह साल बनाम जदयू के पन्द्रह साल
आशीष कुमार ‘अंशु’, निदेशक, मीडिया स्कैन एक माइक, एक मोबाइल, एक फेसबुक प्रोफाइल लेकर बिहार में इस बार युवाओं की फौज उतरी है। यह नजारा बिहार के गांव की गलियों में आम है। गांव वालों के लिए यह सभी पत्रकार हैं लेकिन वास्तव में ये खास राजनीतिक समूह का टोही दस्ता है। ये गांव में जाकर हवा को महसूस करते हैं और जिनके संसाधनों की वजह से पत्रकार बने हैं, उन्हें पूरी—पूरी रिपोर्ट शाम तक देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को क्या नाम देना चाहिए? पत्रकारिता या जनसंपर्क या कुछRead More
कंफ्युजन में क्यों हैं गोपालगंज में यादव समाज के कुछ लोग ?
कंफ्युजन में क्यों हैं गोपालगंज के कुछ यादव समाज के लोग साधु यादव के चक्कर में आकर तेजस्वी यादव को करेंगे कमजोर मायावती अखिलेश यादव को यूपी में दे चुकी हैं गच्चा, उसी के हाथी पर सवार है साधु साधु के सांसद रहते दबंगई करने वाले अभी हाशिये पर हैं, वे साधु के सहारे फिर से जिले में वर्चस्व दिखाने के फिराक में हैं. विशेष संवाददाता. गोपालगंज. गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक लडाई पूरी तरह से दिलचस्प होकर एक रोचक मोड पर खडी हो गई है. आमने सामने के उम्मीदवार भाजपाRead More