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सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण

संपन्नता की राह सहकारिता ——————– सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण अरविंद शर्मा, नई दिल्ली ——————– राजनीति में सहकारी समितियों ने धन का स्रोत बढ़ाया, कार्यकर्ताओं को मिला संरक्षण, देश में साढ़े आठ लाख सहकारी समितियां, एक लाख पैक्सों से 13 करोड़ लोग जुड़े, दो लाख नए पैक्स बनने हैं, जो बड़ा वोट बैंक साबित हो सकते हैं ——————- सहकारिता संस्कृति के रूप में राजनीति का एक पुराना मोर्चा फिर से धीरे-धीरे सशक्त होने लगा है। लगभग तीन दशकों से इस क्षेत्र में ठहराव आ गया था।Read More


ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही

ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही पंडित अनूप चौबे कंस वध के बाद मथुरा में पहली बार रंगोत्सव का त्योहार मनाया जा रहा है। चारो ओर गीत, ढप, झांझर, और उल्लास का शोर है। निर्द्वन्द्व और अभय के वातावरण में पौधे प्राणी मानव आज खुलकर उत्सव मना रहे पर कृष्ण यमुना के इस पार खड़े होकर उस पार निरंतर निहारे ही जा रहे हैं। ‘उस पार क्या देख रहे हो मित्र? होली नही खेलोगे?’ उद्धव ने कन्हैया कर कंधे पर हाथ रखा। ‘किंचित अब नही मित्र। मेरी होली तो मेरी बांसुरीRead More


क्या कांग्रेस के कुछ दिग्गज केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए करते हैं गांधी परिवार को बदनाम !

राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के खिलाफ G-23 रच रहा साजिश, रंजीत रंजन का बड़ा आरोप कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने शनिवार को कहा कि जी -23 यानी का असंतुष्ट नेताओं का समूह सिर्फ राज्यसभा सीट पाने के लिए पार्टी के खिलाफ साजिश रच रहा है। गौरतलब है कि शनिवार को जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा हुआ था। नई दिल्ली, एएनआई। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने शनिवार को कहा कि जी -23 यानी का असंतुष्ट नेताओं काRead More


एक फोन आया और किस्‍सा खत्‍म, विधायकों के भी सूख रहे हलक

वीरेंद्र यादव, पटना। अभी बिहार की राजनीति की सांस अटक गयी है। टिकट के दावेदार ही नहीं, विधायक का हलक भी सूख रहा है। राजद ने अपने आधा दर्जन विधायकों का टिकट काट दिया है तो लगभग इतने ही विधायकों ने पहले ही राजद का दामन छोड़ कर नीतीश का तीर थाम लिया था। लेकिन ऐसे ‘नाद फेरु’ विधायकों का‍ टिकट भी अभी कंफर्म नहीं है। सभी पार्टियों को मिलाकर कम से कम दो दर्जन विधायक अपनी पार्टी के टिकट से बेपटरी हो सकते हैं। पिछले दो-तीन दिनों में कईRead More


असली सन आफ मल्लाह कौन ?

Nirala Bidesia खबर है कि महागंठबन्धन के प्रेस कांफ्रेंस से ही सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी बाहर निकल गए। निकलते हुए कहे कि उनके पीठ में छूरा मारा गया। संभव है कल को मुकेश फिर महागंठबन्धन में ही आ जाए। यह कोई आश्चर्यजनक बात नही होगी। संभव है एनडीए में आ जाए। संभव है अब दोनों में कोई भाव न दे। चुनाव के वक्त जब तक सियासी समीकरण दुरुस्त न हो जाए,कुछ भी हो सकता है। होते रहा है। मुकेश सहनी को तेजस्वी ने भाव नही दिया या एनडीए बहुतRead More


यकीन कीजिए, रघुवंश भाई, अंतिम पंक्ति लिखते-लिखते मेरी आंखें भर आईं!

उर्मिलेश नहीं रहे रघुवंश भाई! जनता दल और फिर राष्ट्रीय जनता दल में जिन कुछ नेताओं से मुझे बातचीत करने या मिलने-जुलने का मन करता था, रघुवंश भाई, उनमें प्रमुख थे– और ये बात वह अच्छी तरह जानते थे. पत्रकारिता में होने के बावजूद मैंने नेताओं से निजी रिश्ते बहुत कम बनाये. राजनीतिक लोगों से प्रोफ़ेशनल रिश्ते ही ज्यादा रखे. नेताओं के लंच-डिनर से भी आमतौर पर दूर रहा. उन्हीं आयोजनों मे जाता रहा और आज भी वही स्थिति है, जहां निजी या प्रोफेशनल कारणों से जाना बहुत जरूरी हो!Read More


आज़ादी के दिन यहां थे गांधी

आज़ादी के दिन यहां थे गांधी पुुष्यमित्र इस पोस्ट के साथ जो एक तस्वीर लगी है, वह कलकत्ता शहर के बेलियाघाट मुहल्ले की एक पुरानी कोठी है, जिसका नाम हैदरी मेन्शन या हैदरी मंजिल है, जहां आज़ादी वाले दिन गांधी ठहरे थे। बेलियाघाट उस जमाने में कोलकाता का बहुत गंदा और बदनाम मोहल्ला माना जाता था। यह मोहल्ला हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों का सीमावर्ती इलाका था। उन दिनों दोनों समुदाय के बीच भीषण दंगा फैला था, इस लिहाज से वहां रहना खतरनाक था। मगर गांधी ने तय किया थाRead More


गोपालगंज की राजनीति में किस खेत के ‘मूली’ हैं अति पिछड़ा

गोपालगंज की राजनीति अति पिछड़ा कोई फैक्टर ही नहीं है ? बिहार कथा, गोपालगंज। जिले की राजनीति के पीछे 20 सालों के इतिहास पर नजर दौड़ा जाए तो यह मिलेगा की पक्ष और विपक्ष किसी ने अति पिछड़ा को टिकट योग्य नहीं समझा । यानी पिछले 20 सालों में किसी भी मुख्य राजनीतिक दलों ने अति पिछड़ा समाज के किसी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया। कहा जाएं तो 2005 से ही अति पिछड़ा समाज का ज्यादातर वोट एनडीए के पक्ष में मिलता रहा है लेकिन एनडीए में अति पिछड़ों केRead More


लालू को गच्‍चा देने का तीन माह से चल रहा था खेल

राधाचरण से रणविजय तक ने राजद की टूट में दिया साथ पटना, अरविंद शर्मा। राजद के विधान पार्षदों के पाला बदलने की पटकथा तीन महीने पहले से ही लिखी जा रही थी। कहानी करीने से आगे बढ़ रही थी। राजद के आठ में से चार पार्षद तो आसानी से टूटने के लिए तैयार हो गए थे, किंतु इससे बात नहीं बनती। दो तिहाई के लिए पांच का आंकड़ा जरूरी था। इसलिए पांचवें को पटाने में थोड़ा वक्त लगा। ना-नुकूर में छठे पर भी डोरे डाले गए, किंतु उन्होंने वरिष्ठता औरRead More


सामाजिक न्याय के साथ विकास और अब गोवार-भूमिहार की सरकार

सामाजिक न्याय, न्याय के साथ विकास और अब गोवार-भूमिहार की सरकार ————– वीरेंद्र यादव —————— राजनीति में जनता के साथ कम्यूनिकेट करने में मुहावरों और नारों की बड़ी भूमिका रही है। समाजवादी आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत नारा ही हुआ करते थे। पूर्व केंद्रीय मं‍त्री देवेंद्र प्रसाद यादव हैं। उनके कार्यालय में नारों की लिस्ट ही टंगी हुई है। 1990 के बाद बिहार में गैरसवर्ण सत्ता का दौर शुरू हुआ। इसमें सामाजिक न्याय का नारा खूब बुंलद हुआ। नीतीश कुमार ने गैरयादव पिछड़ों की गोलबंदी शुरू की और यादवों कोRead More


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