#bhojpuri nach
भोजपुरी बोली का न हो दुरूपयोग
संतोष कुमार तिवारी इतिहास के राजा भोज के वंशज जब बिहार के मल्ल जनपद में आये तब उन्होनें अपनी राजधानी भोजपुर बनाईl और यहीं की स्थानीय बोली प्राम्भ में भोजपुरी कहलाईl धीरे धीरे यह बोली बिहार के अन्य जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के पुर्वाचल के कई जिलों में बोली व समझी जाती हैl मालूम होना चाहिये कि विश्व में अपना एक अच्छा स्थान रखने वाला देश मारीशस में भोजपुरी बोली जाती हैl भोजपुरी हिन्दी प्रदेश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली बोली हैl लेकिन सभी मान्यताओं को धता बताकरRead More
रंगवा में भंगवा परल हो बटोहिया !
ध्रुव गुप्त लोकभाषा भोजपुरी की साहित्य-संपदा की जब चर्चा होती है तो सबसे पहले जो नाम सामने आता है, वह है स्व भिखारी ठाकुर का। वे भोजपुरी साहित्य के ऐसे शिखर हैं जिसे न उनके पहले किसी ने छुआ था और न उनके बाद कोई उसके आसपास भी पहुंच सका। भोजपुरिया जनता की जमीन, उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं, उसकी आशा-आकांक्षाओं तथा राग-विराग की जैसी समझ भिखारी ठाकुर को थी, वैसी किसी अन्य भोजपुरी कवि-लेखक में दुर्लभ है। वे भोजपुरी माटी और अस्मिता के प्रतीक थे। लगभग अनपढ़ होने केRead More