पुष्यमित्र
कोसी में रहना है तो देह चलाना सीखो !
पुष्यमित्र नदियों का इलाका है। छोटे छोटे काम के लिए नाव से दो नदी, तीन नदी पार करना, दियारा के इलाके में कई कई कोस पैदल चलना यहां आम बात है। औरतें रोज घास काटने के लिए इतना सफर दौड़ते कूदते कर लेती हैं। थकती नहीं हैं, सफर में खूब बतियाती हैं, अजनबी लोगों को रास्ता दिखाती हैं। घुटने भर कीचड़ में पांव डालने में घबराती नहीं हैं। सिर पर घास का गट्ठर लादे फोन पर दूर देस में रोजगार कर रहे अपने बेटे से बतियाती हैं। घर की मुसीबतें,Read More
मुझे कश्मीर में प्लॉट नहीं, कश्मीरी दोस्त चाहिये
पुष्यमित्र आजकल कभी कभी मन होता है कि हर मुद्दे पर क्यों बोला जाये। अपनी राय जाहिर करते रहना कोई जरूरी है क्या? और क्या लोग मेरी भावनाओं को समझ भी पायेंगे। कहा जाता है कि अगर आसपास ज्यादातर लोग नशे में टुल्ल हो तो बजाय इसके कि लोगों को समझाया जाये, खुद ही एक पैग चढ़ा लेना अधिक समझदारी का काम है। मगर फिर कबीर याद आ जाते हैं। आज जब कश्मीर में फौज की टुकडियां भर कर कश्मीर भंग कर दिया गया और धारा 370 को खत्म करनेRead More