वीरेंद्र यादव के साथ रणभूमि की तपिश-5 पिछले दो दशक से अधिक की पत्रकारिता में हमने समाज और सामाजिक बनावट को काफी करीब से देखा। देखने की कोशिश की। हरRead More
वीरेंद्र यादव के साथ रणभूमि की तपिश-4 आज लोकसभा चुनाव को लेकर हम सुबह 9.20 से दोपहर बाद 3.10 बजे तक गया में रहे। तेज गरमी और कभी-कभी अंधड़ केRead More
गोपालगंज में तपे-तपाए की जगह नए चेहरे पर सभी ने लगाया है दांव गोपालगंज। लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान तेज होने के साथ ही अब हवा मेंRead More
गोपालगंज। वैसे घोषणाएं तो बहुत हुई। लेकिन इन पर अमल की कवायद नहीं हुई। ऐसे में उद्योग धंधे चौपट होते गए। चीनी मिल से लेकर डालडा फैक्ट्री तक एक के बादRead More
वीरेंद्र यादव के साथ रणभूमि की तपिश- 1 प्रथम चरण के चार और दूसरे चरण के पांच लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार उठान पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपाRead More
सलाखों के पीछे से सियासत पर निगाहें, बिहार में जेल से चुनाव कंट्रोल कर रहे पांच धुरंधर पटना [रमण शुक्ला]। जिन्हें सत्ता का चस्का लगा हो, वे चुनावी सियासत सेRead More
नवल किशोर कुमार 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू प्रसाद यादव ने बिहार की राजनीति की दिशा को पूरी तरह से बदल दिया। जो जातियां विकास में पीछे करRead More
वीरेंद्र यादव के साथ रणभूमि की तपिश- 2 डिहरी का मूड बदलने लगा है, हवा भी बदल रही है। विरासत के खिलाफ विरोध है तो जातीय अहंकार का दर्द भीRead More
पटना [श्रवण कुमार]। बिहार को यूं ही देश की राजनीति का थर्मामीटर नहीं कहा जाता है। जब-जब यहां के वोटरों का ताप बढ़ा है, देश का सिंहासन डोला है। आंकड़े गवाहRead More
चार जातियों का ‘उम्मीदवार चालीसा’ वीरेंद्र यादव, पटना। लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद स्पष्ट हो गया है कि भारतीय लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का काम कुछ जातियों काRead More