शराबंदी का असर : शराब छूटी तो बन गये मार्केट कॉम्प्लेक्स के मालिक
कुमार आशीष
सहरसा : सहरसा के जयनारायण साह के बदलाव की कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है. जयनारायण साह पहले शराब के नशे में रहते थे. लोग उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते. बिटिया सयानी हो रही थी, लेकिन शादी के लिए अच्छे वर नहीं मिल पा रहे थे. वे जो कमाते थे उसमें से चार से पांच हजार शराब के पीछे फूंक देते थे. इसके कारण फजीहत होती थी. घर में रोज-रोज कलह अलग से. लेकिन शराबबंदी ने उनके जीवन में बदलाव की बयार बहा दी. अब जयनारायण साह का रुतबा बदल गया है. अपनी जमीन पर मार्केट कॉम्प्लेक्स का निर्माण करा चुके हैं. इससे अच्छी आमदनी हो रही है. इन पैसों को भविष्य के लिए जमा करने के अलावा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले बच्चों से भी नजर मिलाने में शर्म महसूस होती थी. अब दूसरे को भी शराब से दूर रहने की हिदायत देते गर्व की अनुभूति होती है. शहर के गांधी पथ निवासी 50 वर्षीय जयनारायण साह बताते हैं कि शराबबंदी के बाद स्वास्थ्य, खानपान सहित लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव आया है. शराब पीकर घर पहुंचने पर पहले मारपीट तक की नौबत आ जाती थी, लेकिन अब परिस्थिति बदल गयी है. सामाजिक इज्जत में भी बढ़ोतरी हो गयी है. खास कर नशे की लत में मुरझा गये चेहरे अब पुरानी चमक में लौट रहे हैं. शहर में धीरे-धीरे एक सफल व्यवसायी के रूप में इनकी पहचान बनती जा रही है. पत्नी लालो देवी बताती हैं कि शराबबंदी वरदान बन कर परिवार में आयी है. पहले पति शराब के नशे में घर आते थे. छोटी-छोटी बातों पर भी मारपीट करने के लिए उतारू हो जाते थे. जो भी कमा कर लाते थे सब नशे की भेंट चढ़ जाता था. अब स्थिति बदल गयी है. उनकी जीवनशैली बदल गयी है. परिवार के साथ समय व्यतीत करते हैं. उन्होंने कहा कि नशा परिवार को नष्ट कर रहा था. सरकार के फैसले ने परिवार की खुशियां लौटा दी हैं.
आंगन में बजी शहनाई
जयनारायण साह ने बताया कि शराबबंदी के बाद बीते दिसंबर माह में बेटी की शादी भी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. पहले जब शराब की लत थी, तो इस प्रकार के कर्तव्यों से कोई नाता नहीं रहा था. उन्होंने कहा कि शराब सामाजिक स्तर पर संबंध जोड़ने में बाधक बन रही थी. कोई भी व्यक्ति नशे से जुड़े लोगों से पारिवारिक संबंध जोड़ने में हिचकते थे. अब ऐसी समस्या नहीं है. उन्होंने बताया कि पहले यह एहसास होता था कि कम शिक्षा की वजह से परिवार की प्रगति नहीं होती थी, लेकिन अब आत्मबल में वृद्धि हुई है.
प्रभात खबर से साभार
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