गोवंश पर सख्त होने की जरूरत, जिससे समाज को मिले संदेश
संजय जोशी
भारत में नंदी आस्था का प्रतीक है और नन्दनी गाय को गोमाता का दर्जा प्राप्त है लेकिन कलयुग में इस सनातनी परम्परा को वह लोग झुठलाने का प्रयास कर रहे है जो कि इस धर्म के प्रति आस्थावान नही है।केरल में जो कुछ हुआ वह भारतीय संस्कृति का कदापि हिस्सा नही हो सकता और दर्शाता है कि कांग्रेस के मुखिया का परिवार हिन्दू धर्म के कितने करीब रहा होगा और हिन्दूओं के प्रति उनका रवैया कैसा रहा होगा।
केरल सरकार भी इस मामले में दोषी है उस पर कारवाई होनी चाहिये । यह इसलिये होनी चाहिये कि कोई भी सरकार जनमानस के मनोवृत्ति के साथ खिलवाड़ नही कर सकता। कांग्रेस ने ही इसकी शुरूआत करते हुए भाजपा शासित चार राज्यों की सरकार गिरायी थी और कहा था कि उसने मुसलमानों के प्रति नफरत भाव से काम किया है। केरल में उनके मनोवृत्ति के साथ खिलवाड़ हुई है तो उसे गिराना चाहिये ,चाहे वह किसी दल की सरकार हो।
सबसे बडी बात तो यह है कि यह काम खुलेआम हुआ मीडिया के सामने हुआ और पहले से बता कर हुआ , इसका मतलब वहां का प्रशासन व सरकार इस मामले में शामिल था । केरल एक पूर्ण साक्षर राज्य है और निरक्षता का बहाना बनाकर इसे खत्म नही किया जाना चाहिये । इस तरह की सामाजिक गुण्डागर्दी पर केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप कर उन लोगों को सजा देनी चाहिये जिन्होने हिन्दू जनमानस के साथ खिलवाड किया है। केन्द्र सरकार को नोटिस देना चाहिये कि सरकार बताये कि किस तरह से इस काम को अंजाम दिया गया और कौन कौन से लोग इस काम में शामिल है। धारा 120 के तहत उनके खिलाफ कारवाई होनी चाहिये । इसमें कई बडे कांग्रेसी नेता शामिल है। केरल सरकार से यह भी पूंछा जाय कि उन्होने हिन्दू भावना को आहत करने वालों के खिलाफ कौन सी कारवाई अब तक की है। कहीं सरकार का समर्थन इस तरह का कार्य करने वालों को नही है।
केन्द्र सरकार को समझना चाहिये कि साजिश के तहत देश को दो भागों में तोड़ने की साजिश हो रही है। भाजपा शासित राज्य को हिन्दूओं का संरक्षक बताकर मुसलमानों के नाम पर कुछ ऐंसे घृणित काम किये जा रहें है जिससे देश में असामनता का माहौल बन रहा है।प्रधानमंत्री को इस मामले पर गंभीरता के साथ निर्णय लेना चाहिये। यह काम पिछले कई दशकेां से प्रभाव में है और इसे अब सुनियोजित कर मूर्त दिये जाने का प्रयास किया जा रहा है।पहली घटना पर रोक न लगी तो हर गैरभाजपा राज्यों में इसी तरह गोमाता को काटा जायेगा और उसे रोक पाना फिर कठिन होगा।
जब इंदिरा गांधी इंमरजेसी लगाकर चुनाव हार गयी तो वह करपात्री जी महराज के पास गयी और सरकार बनाने के लिये उनसे आर्शीवाद मांगा , उस समय करपात्री जी ने उनसे कहा कि वह उसके लिये अनुष्ठान करेगें किन्तु उनका एक काम उन्हें भी करना होगा । गाय को गोमाता का दर्जा व राष्टीय पशु घोषित करना होगा । इंदिरा जी उनके सहयोग से प्रधानमंत्री बन गयी और जब करपात्री जी ने उनसे अपनी बात दोहरायी तो वह नाराज हो गयी । नतीजा करपात्री जी ने महतों को लेकर संसद का घेराव किया और इंदिरा गांधी ने संतो पर गोली चलवा दी। जिससे कई बाबा मर गये । तब करपात्री जी ने श्राप दिया और आज इंदिरा परिवार अपने आस्तिव को तरस रहा है। आज की केन्द्र सरकार भी उसी तरह के समझौतों पर बनी है इस लिये उसे चाहिये कि गोहत्या व इसतरह की कोशिश करने वाले को सख्ती से दंड दे ताकि समाज में एक संदेश जा सके कि अब ऐसा करने पर वैसा होगा।
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