10 साल पहले कॉलेज में 50 लाख के गबन मामले में जेल जा सकते हैं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष विधायक मिथलेश तिवारी!

कार्यालय संवाददाता
गोपालगंज. बिहार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और गोपालगंज में बैकुंठपुर विधानसभा के विधानसभा के विधायक मिथलेश तिवारी के सितारे इन दिनों ठीक नहीं चल रहे हैं. दस साल पुराने बिहार सरकार के निगरानी विभाग के एक प्रकरण की जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद उन पर जल्द ही मुकदमा चलने के आसार है. इनके साथ दो अन्य आरोपियों पर भी मुकदमा चलेगा. इसमें पं. दीन दयाल उपाध्याय इंटर कॉलेज के सचिव शिवनाथ पांडे व कॉलेज के प्राचार्य अमरेंद्र द्विवेदी भी शामिल हैं. मगध विश्वविद्यालय के बीडी इंवनिंग कॉलेज बोधगया से 1993 में अर्थशास्त्र से स्नातक ऑनस की डिग्री लेने वाले मिथलेश कुमार तिवारी पर मुजफ्फरपुर निगरानी कांड संख्या 34/15 दर्ज है. इसमें मिथलेश तिवारी पर आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477(ए) और 120 बी लगाई गई है. कानून के जानकारों का कहना है कि इस प्रकरण में प्रमुख रूप से जालसाजी, आपराधिक साजिश आदि के आरोप लगाये गए हैं. यदि सभी आरोप कोर्ट में सिद्ध हो जाए तो मिथलेश तिवारी को 10 साल तक की जेल व जुर्माने की सजा हो सकती है.
निगरानी विभाग की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाया था स्टे
निगरानी विभाग मुजफ्फरपुर के प्रकरण के खिलाफ मिथलेश कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में अपील की थी.24 सितंबर, 2015 को हाईकोर्ट के आदेश संख्या 39932/15 में उपरोक्त प्रकरण में तत्काल कार्रवाई पर स्टे लगाया गया था.
यह है मामला
मिली जानकारी के अनुसार गोपालगंज के बरौली प्रखंड के खजुरिया के पं. दीनयाल उपाध्याय इंटर कॉलेज के प्रबंध समिति में वर्तमान विधायक मिथलेश तिवारी के अध्यक्षीय कार्यकाल (2006-2008) के दौरान करीब 50 लाख रुपए के अनुदान की रकम का गबन हुआ. इसकी बिहार सरकार की ओर से निगरानी विभाग ने जांच की, इसमें यह बात सामने आई कि न्याय मित्र व पंचायत शिक्षकों को फर्जी लेक्चरर (व्ख्याता)बता कर राशि का अनुदानित राशि का भुगतान कर गबन किया गया. जिन लोगों के नाम पर राशि का भुगतान किया गया, वे पहले से बिहार सरकार की सेवा में थे. इस तरह उन्होंने एक साथ दो जगहों से वेतन प्राप्त किया. इस मामले में जब 2015 में एफआईआर दर्ज हुई तब मिथलेश तिवारी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई. स्थानीय लोग बताते हैं कि तब मिथलेश तिवारी गिरफ्तरी के डर से कई दिनों तक बैकुंठपुर, गोपालगंज से बाहर रहें.हालांकि इस प्रकरण में विधायक मिथलेश तिवारी व उनके समर्थक पहले से ही यह कहते रहे हैं कि यह उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई है.






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