यदि आप गरीबी हैं तो पैसों की तंगी से आईक्यू पर भी पड़ेगा असर

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अमेरिका में शोध रिपोर्ट : सूखी रह जाती हैं गरीब बच्चों के दिमाग की तंत्रिकाएं
एजेंसियां. लंदन.
क्या गरीबी की वजह से इंसान का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होता? क्या गरीबी में पलने वाले बच्चों का दिमाग कमजोर रह जाता है? बीबीसी रेडियो की सीरीज ‘द इन्क्वायरी’ में होस्ट रूथ एलेक्जेंडर ने इस बार इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की.  इस बारे में दुनियाभर के देशों में शोध कर रहे कई वैज्ञानिकों ने इस बात के संकेत दिए कि आईक्यू का आपकी गरीबी से संबंध तो होता है. हालांकि इसे साबित करने के लिए अभी और शोध किए जाने की जरूरत है. पैसे की फिक्र से हमारा आईक्यू लेवल कम रह जाता है. गरीबी की वजह से बच्चों की ठीक से परवरिश नहीं हो पाती. उन्हें तऱक्की के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलते. इसकी वजह से गरीबी में पलने वाले बच्चे, जि़ंदगी की जद्दोजहद में भी पिछड़ते जाते हैं. असल में रूथ अलेक्जेंडर को एक स्कूल टीचर मिसेज मर्फ़ी ने बताया कि गरीबी में पलने वाले बच्चे इम्तिहान में फिसड्डी रह जा रहे हैं, वहीं खाते-पीते घरों के बच्चे बाजी मार ले जाते हैं.  मिसेज मर्फी को लगता है कि गरीब बच्चों के खराब प्रदर्शन का सीधा ताल्लुक उनके माहौल से है. वो गुरबत में पल रहे हैं. या शायद ये आनुवांशिक मामला है. इसके बाद रूथ एलेक्जेंडर ने ये पता लगाने की कोशिश शुरू की कि क्या गरीबी हमारी सोच पर असर डालती है? क्या गरीबी का दिमाग के विकास पर असर पड़ता है? इस सिलसिले में रूथ ने कई जानकारों से बात की.
पैसा बढ़ा देता है आईक्यू
एल्डर शफीर अमरीका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में बर्ताव का विज्ञान और जननीति के विषय पढ़ाते हैं. शफीर मानते हैं कि पैसे की कमी यानी गरीबी हमारी सोच को कमजोर करती है. गरीबी की वजह से हमारे सोचने-समझने की ताकत कमजोर होती है. शफीर के मुताबिक सिर्फ़ पैसे की वजह से लोगों के आईक्यू में 12-13 प्वाइंट का फर्क़ देखा गया. हालांकि शफीर अभी भी पक्के तौर पर ये नहीं कह पा रहे थे कि गरीबी का हमारे सोचने के तरीके पर असर पड़ता है. उन्होंने एक और तजुर्बा किया. शफीर की टीम चेन्नई के पास के कुछ गन्ना किसानों से मिली. इस टीम ने पाया कि गन्ने की फसल कटने के बाद के दो महीनों में किसान ज्यादा खुश रहते हैं. वो मुश्किलों का हल चुटकियों में निकाल लेते हैं. वहीं फसल कटने के पहले के दो महीनों में वो परेशान दिखते हैं. हर चुनौती उन्हें बड़ी नजर आती है. फसल कटने और उससे पहले के व़क्त में किसानों के आईक्यू लेवल में 9 प्वाइंट तक का फर्क़ आया था.
अमीरी का पड़ता है फर्क
हजूरी अमरीका की मयामी यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. अदीना हजूरी ने पाया कि जो लोग लंबे व़क्त तक अभाव में जिए हैं, उनका दिमाग उतनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पा रहा था, जितना बेहतर जि़ंदगी जीने वाले लोगों का.  हजूरी ने पाया कि गरीबी का हमारे सोचने के तरीके पर असर पड़ता है. जो लोग लंबा व़क्त गरीबी में बिताते हैं, वो अपने दिमाग का बखूबी इस्तेमाल नहीं कर पाते.






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