नीतीश ने दिया सोनिया को सुझाव; अब मोदी पर नहीं नीतियों पर होगा हमला
विशेष संवाददाता
बिहार कथा. नई दिल्ली. विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कम हमला करेंगे और उनकी चर्चा कम से कम करने की कोशिश करेंगे. अब विपक्ष, सरकार की नीतियों पर अधिक हमला करेंगे और इन्हीं मुद्दों पर अधिक बात भी करेंगे. विपक्ष ने माना है कि पिछले कई महीनों से उनके एकतरफा हमले से पीएम मोदी को नुकसान से अधिक लाभ ही हुआ है. हालिया तमाम चुनाव में बीजेपी को मिल रही बड़ी जीत और विपक्षी दलों को मिलती शिकस्त इस रणनीतिक बदलाव का अहम कारण माना जा रहा है.हाल के दिनों में सोनिया गांधी की तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात में चर्चा का यही मुख्य बिंदु रहा कि मोदी सरकार पर आक्रमण किस तरह हो. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के सीनियर नेताओं के नीतीश कुमार, शरद पवार, सीताराम येचुरी सहित बाकी नेताओं ने भी माना कि विपक्ष की सरकार को घेरने की रणनीति में चूक रही. मई दिवस के मौके पर समाजवादी मधु लिमये की जयंती के मौके पर जुटे आधे दर्जन विपक्षी दलों के नेताओं ने स्वीकार किया कि मोदी केंद्रित हमले में असल मुद्दे को छूने में विफल रही.
कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी नेताओं का विरोध का तरीका बदलने का सुझाव जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने कांग्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया था. सूत्रों के अनुसार 20 अप्रैल को दोनों नेताओं की हुई मुलाकात में यह मुद्दा उठा था जिसमें नीतीश ने कहा कि हर बात पर मोदी का विरोध करने के बजाय मुददे को चुनें. उन्होंने नोटबंदी का मिसाल देते हुए कहा कि किस तरह बिहार में इसका लाभ उन्होंने मोदी की अगुवाई में बीजेपी को नहीं लेने दिया. नीतीश कुमार अकेले विपक्षी नेता थे जो लगातार नोटबंदी का सपोर्ट कर रहे थे. राजनीतिक रूप से नोटबंदी पर मोदी को बहुत लाभ मिला हालांकि विपक्ष इस मुद्दे पर उनपर बहुत तीखा हमला करते रहे. पीएम मोदी ने इस हमले को अपने पक्ष में करते हुए लोगों के बीच, खुद को गरीबों के मसीहा के रूप में पेश की.
मोदी का व्यक्तिगत विरोध नहीं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि महज मोदी विरोध के नाम पर विपक्ष के एकजुट होने से कोई लाभ नहीं होगा बल्कि इससे वह और मजबूत होंगे. जेडीयू नेता के सी त्यागी ने भी कहा कि मोदी का कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुद्दे पर साझा विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करने के पीछे मोदी के विरुद्ध एक होना नहीं बल्कि संविधान की मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होना है. लगभग सभी नेताओं की आम राय बनी है कि अब वह बेरोजगारी, किसानों से जुड़े दिक्कतों को उठाने पर अधिक फोकस करेगी और मोदी पर उनका हमला केंद्रित नहीं होगा.
नीतीश ने सोनिया के सामने उठाया था मुद्दा
मई के दूसरे हफ्ते में सोनिया दोबारा मिलेगी विपक्षी नेताओं से
राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार की तलाश और विपक्षी एकता की कोशिश को आगे बढ़ाने की मंशा के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दोबारा सभी विपक्षी नेताओं से मुलाकात करेगी. विपक्ष की ओर से कांग्रेस की अगुवाई में वृहद यूपीए बनाने की पहल की गयी है जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी और संयोजक नीतीश कुमार को बनाने के विकल्प पर भी चर्चा हो रही है. इस पहल में शरद पवार की भी अहम भूमिका निभाई बतायी जा रही है
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