लालू ने मंगवाए दो मोर, अब सारे कष्ट होंगे दूर
पटना. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के घर नए मेहमान आए है। लालू ने अपने पटना आवास में दो मोर मंगवाए है। बताया जा रहा है कि किसी नामी-गिरामी साधु के कहने पर लालू ने यह दो मोर मंगवाए है। इन दोनों मोरों को संजय गांधी बायोलॉजिकल पार्क से लाया गया है। मोरों को शुभ माना जाता है इसलिए लालू ने उन्हें अपने घर के लिए मंगवाया है। ऐसी मान्यता है कि सुबह के समय घर में मोर के दर्शन करने से दिन शुभ जाता है और हर कष्ट-कलेश मिट जाते हैं। सुनने में आया है कि आजकल आरजेडी सुप्रीमों शारीरिक और मानसिक रोगों की चपेट में हैं। लालू की बिमारी को देखते हुए ही लालू के संत ने उन्हें घर में मोर रखने की सलाह दी है।
संत का कहना है कि लालू के घर में मोर के आगमन के बाद जल्द ही उनके कष्टों का निवारण हो जाएगा। इन दोनों मोरों को लालू के 10, सर्कुलर रोड बंगले पर रखा गया है जहां पर ये खुले वातावरण में रह रहे हैं। इनके अलावा लालू के घर में और भी कई पक्षी और जानवर हैं। इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि लालू को पक्षियों और जानवरों से काफी लगाव है। बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए भी लालू ने अपने सरकारी घर में 50 गाय और कई नस्ल के बकरों को पाला हुआ था। उस समय यह सब देखते हुए विपक्ष ने काफी हंगामा किया था कि लालू एक मुख्यमंत्री होते हुए अपने सरकारी घर में व्यापार कर रहे हैं। लेकिन इन सबकी परवाह न करते हुए लालू ने बयान दिया कि मैं यदुवंशी कुल से हूं और मैं भगवान श्री कृष्ण को मानता हूं, यादवों के यहां गो-पालक होना जरूरी होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि गो-पालक हमेशा साथ में एक लाठी रखा करते हैं जो कि सांप और बिच्छु को मारने के काम आती है।
आपको बता दें कि मोर वे पक्षी हैं जो कि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के अंर्तगत आते है। मोरों को कोई भी व्यक्ति अपने निजी कार्यों के लिए नहीं रख सकता लेकिन लालू उन लोगों में से हैं जिनका बिहार में दबदबा मुख्यमंत्री न रहते हुए भी कायम है। लालू की कही गई किसी भी बात को अधिकारी टाल नहीं सकते। वहीं चिड़ियाघर के डायरेक्टर नंद किशोर ने तर्क दिया है कि दोनों मोरों को पॉलिसी डीसीज़न के तहत लालू के घर पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उन मोरो को मौका मिल रहा है कि वे खुले वातावरण में रह सकें. वहीं दूसरी तरफ बायोलॉजिकल विभाग के अधिकारी का कहना है कि यह फैसला गैर कानूनी है लेकिन लालू यादव की बात को कौन कांट सकता है इसलिए मजबूरी में यह फैसला लिया गया है।
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