पिछड़ा वर्ग संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में ब्राह्मणवाद पर हमला

धनबाद biharkatha.com अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ धनबाद की न्यू टाउन हाॅल में आयोजित राष्ट्रीय अध्विेशन में ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद निशाने पर रहा। वक्ताओं ने कहा कि ब्राह्मण आर्य हमलावर है। जबकि पिछड़े-दलित भारत के मूल निवासी। भारत के मूल निवासी द्रविड़ थे और हम उन्हीं के वंशज हैं। द्रविड़ की श्रमण संस्कृति एवं सभ्यता ब्राह्मण संस्कृति से हजारों वर्ष पुरानी है। यह वही वक्त था जब भारत सोने की चिडि़यां था और दूध् की नदियां बहती थी। लेकिन जैसे ही विदेशी आर्य अतिक्रमणकारी आये, मूल निवासियों की हत्या की, लूटा और जातियों के माध्यम से ऐसी व्यवस्था बनायी कि आर्य विदेशी ब्राह्मणों का प्रभुत्व सदा बना रहे। आजादी के बाद लौह पुरूष सरदार पटेल को दरकिनार कर पं. नेहरू को प्रधनमंत्राी बना दिया गया। इसके साथ ही लगभग सभी प्रांतों में केवल ब्राह्मण ही मुख्यमंत्राी बनाये गये। अब अगड़ों के हित में यही बेहतर होगा कि वे अपने लिए आबादी के अनुपात में दस प्रतिशत स्थान सुरक्षित करा लें और शेष 90 प्रतिशत आबादीवाले मूलनिवासियों के लिए छोड़ दें। अध्विेशन के उद्घाटनकर्ता प्रो. पीपी बौ( थे। उन्होंने कहा – देश के पिछड़ों का इतिहास लिखा ही नहीं गया है। इसमें उलटे कल्चरल रैगिंग का सिलसिला जारी है। पिछड़ा वर्ग सांस्कृतिक रैगिग का शिकार है। इस वर्ग को सदियों से गुलामी की हालत में जकड़ कर रखा गया है। पिछड़े से जुड़े इतिहास को तोड़ मरोड़ का पेश किया गया है जिसके कारण आज भी पिछड़ों की आबादी हाशिएं पर पड़ी है। मुख्य अतिथि सम्बोध्ति करते हुए प्रदीप ढोवले ने कहा कि सदियों से पिछड़े वर्ग को सांस्कृतिक रैगिंग का शिकार बनाकर शोषण किया जा रहा है तथा ब्राह्मणवादी व्यवस्था में पिछड़े को कोई अध्किार नहीं मिला है। इसलिए हमारी लड़ाई आजादी की दूसरी आजादी का दर्जा रखती है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि वे ब्राह्मणों के उपर आने की लड़ाई नहीं लड़ रहे बल्कि उनके समकक्ष का दर्जा हासिल करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पुरूषोत्तम खेडकर ने इस मौके पर कहा कि शिव ध्र्म में कोई बड़ा छोटा नहीं, कोई पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि ध्र्मग्रन्थों में पिछड़ों को दबाने की बातें लिखी है इसलिए सभी ध्र्मग्रन्थों को जला देना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड का इतिहास नहीं पढ़ाया जाता। पिछड़ों की कुर्बानियां लिखी नहीं गयी है। प्रो. महतो ने झारखंड को मिनी बिहार की संज्ञा देते हुए कहा कि सभी ऊंचे पदों पर बिहार के सवर्ण काबिज है।
महाराष्ट्र के पुरूषोत्तम खेडकर ने कहा एक कहावत है कि ब्रह्म हत्या सबसे बड़ा पाप है, शिवध्र्म कहता है कि ब्रह्म हत्या सबसे बड़ा पुण्य है। उन्होंने अपील की कि किसी भी काम में ब्राह्मणों को न बुलायें। ब्राह्मण कभी आपका उ(ार नहीं कर सकते। ओबीसी सेवा संघ महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्रदीप ढोबले ने कहा कि माहत्मा गांध्ी को अंग्रेजों ने ट्रेन से उतारा और उन्होंने आजादी की लड़ाई शुरू की। महात्मा ज्योति राव फूले को एक ब्राह्मण मित्रा के घर हुए शादी समारोह से ध्क्के मार कर निकाला गया और उन्होंने लड़ाई शुरू की। त्यागमूर्ति आरएल चंदापुरी ने उस लड़ाई को दूसरी आजादी की लड़ाई का नाम दिया। हम ब्राह्मणों को दबाना नहीं चाहते, उनके बराबर होना चाहते हैं। वर्ण व्यवस्था ब्राह्मणों ने अपने को श्रेष्ठ बनाये रखने के लिए कायम की है।
इस मौके पर कई प्रस्ताव भी पारित किये गये, उनमें पिछड़ों के लिए लाये गये प्रावधन क्रीमी लेयर की पूर्ण रूप से हटाने, महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण केवल दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और आदिवासियों को देने, पिछड़े, अति पिछड़े वर्गों को प्रोन्नति में भी आरक्षण लागू करने, सरकारी नौकरियों में दलित-पिछड़े वर्गों को मिलनेवाले आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमाबंदी समाप्त करने और उसे जनसंख्या के अनुपात में बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने, न्यायपालिका की प्रत्येक इकाई के न्यायाध्ीशों की नियुक्ति में आरक्षण के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन करने, पंचायती राज के चुनाव में पिछड़ों एवं अति पिछड़ों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने, आईआईटी, आईआईएस में चयनित पिछड़े, अति पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों के छात्रा-छात्राओं के लिए पूर्ण छात्रावृति देने, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल काॅलेजों में पृथक रूप से पिछड़ों का परीक्षा शुल्क खत्म करने और नौकरियों में आयुसीमा तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष करने, सभी क्षेत्रों में साक्षात्कार की प्रक्रिया की पूर्ण रूप से खत्म करने, सभी निजी क्षेत्रों में दलित-पिछड़े, अति पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू करने आदि।






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