राष्ट्रपति के इनकार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोकी फांसी की सजाएं

श्याम सुमन.नई दिल्ली
झारखंड के मोफिल खान और मुबारक खान को भारी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मिली फांसी की सजा के अमल को फिलहाल रोक दिया है। यह सजा उन्हें अपने पड़ोसी हनीफ खान उसकी पत्नी तथा उसके चार नाबालिग पुत्रों निर्मम हत्या करने के लिए मिली थी। दोनों की दया याचिका को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आठ माह पूर्व मार्च में ठुकरा चुके हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका के लंबित रहने के कारण उन्हें यह राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश तब दिया जब मोफिल खान के वकील सीयू सिंह ने कहा कि उनकी समीक्षा याचिका पूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से गत वर्ष सजा की पुष्टि होने के बाद पूरा रिकार्ड ट्रायल कोर्ट में वापस भेज दिया गया था। इसलिए उन्हें यह रिकार्ड फिर से मुहैया करवाया जाए। साथ ही उन्हें समीक्षा याचिका के आधारों में भी जोड़ घटाव करने की अनुमति दी जाए। समीक्षा याचिका में विफल होने पर उनके पास अंतिम विकल्प उपचार याचिका का ही बचेगा। झारखंड राज्य की ओर से विरोध न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को रिकार्ड मुहैया करवाने की अनुमति दे दी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ उनकी समीक्षा याचिका पर सुनवाई 16 जनवरी 2017 को 2 बजे करेगी। कोर्ट ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस दौरान उनकी फांसी की सजा पर अमल नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि दोषियों को दस्तावेज उन्हें सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से चाहिए तो वे भी उन्हें मुहैया करवाए जाएं। मोफिल और उसके भतीजे मुबारक तथा दो अन्य को ट्रायल कोर्ट ने हनीफ और उसके परिवार की हत्या करने का दोषी पाया था। यह वारदात 2007 में झारखंड के मकांडू गांव में संपत्ति विवाद को लेकर हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई।
झारखंड हाईकोर्ट ने मोफिल और मुबारक को मिली फांसी की सजा की पुष्टि कर दी थी जिसके बाद वे अपील में सुप्रीम कोर्ट आए। अक्तूबर 2015 में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस एचएल दत्तू की पीठ ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति के यहां भी दया याचिका दायर की थी, लेकिन 6 मार्च को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दोनों की याचिका को खारिज कर दिया था।






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