सोशल मीडिया पर जंग
नीतिश पाण्डेय, गोपालगंज
उरी के आर्मी बेस पर हाल के आतंकी हमले मे हमारे 18 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए ।इस घटना ने समूचे राष्ट्र को गुस्से से भर दिया । पूरे देश मे लोग चाहे जिस भी राजनीतिक निष्ठा के हो ,यह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके बदले पाकिस्तान पर गंभीर कार्रवाई करें । इस बीच कुछ लोग सोशल मिडिया पर यह समानता दिखाने मे भी जुटे है कि सीमा पार से हुए ऐसे हमले के बाद किस तरह मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया तकरीबन एक जैसी है । हालाकि कुछ समर्थकों को अब भी मोदी के 56 इंच के सीने पर भरोसा है । वैसे यह सच्चाई भी किसी से नही छिपी है कि वोट लेने के लिए भारतीय नेता चुनाव के दौरान पाकिस्तान को लेकर जानबुझकर तल्ख बयानी करते रहते हैं,पर यह तल्खी तब गायब हो जाती है जब वे सरकार मे जिम्मेदारी के पद पर होते है ।
इस बार जनमानस के मन मे जबरदस्त आक्रोश है ।भारत की जनता ने मोदी सरकार को प्रचंड बहुमत दिया था कि वह पाकिस्तान को करारा जबाब दे ।हालांकि पाकिस्तान को लेकर मोदी की ढुलमुल नीति के कट्टर विरोधियो को नही लगता कि सरकार इस मामले मे ज्यादा कुछ कर पायेगी ।अब तकरीबन आधा कार्यकाल इस सरकार का पुरा हो गया है,और आतंकी हर रोज एक नए नुकसान का मापदंड सेट कर रहे है ।लेकिन उरी के हमले के साथ हमारे देश के सामुहिक सब्र का तो बांध ही टूट गया है ।
उरी हमले के बाद आम प्रतिक्रिया तो यही है कि भारत पाकिस्तान पर हमला करे । लेकिन प्रत्यक्ष युद्ध अन्तिम विकल्प होता है,और उसके पुर्व भी उसका आधार बनाने तथा दुश्मन को कमजोर करने के लिए अनेक कदम उठाए जाते है ।बगैर युद्ध किए भी दुश्मन को धरती पर नाक रगडने को मजबूर किया जा सकता है ।भारत ने इस तरह की रणनीति पर काम करने का फैसला किया है, और यह बिल्कुल व्यवहारिक है ।इसके परिणाम भी सामने आएंगे । सोशल मिडिया पर लोग संयम वरतें ।अस्थिरता के हवाले हो जाना भारत की जरूरत नही है ।कम से कम अर्थव्यवस्था के लिए तो कतई नही । (नीतीश पाण्डे गोपालगंज के हैं इन दिनों दिल्ली में अधिवक्ता हैं)
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