किसान हो रहे कंगाल, बिचैलिये मालामाल
धान क्रय केंद्र में किसानों का नहीं, दलालों का लिया जा रहा धान
चंद्रमंडीह /चकाई. जुमई। बिहार सरकार किसानों के हित में काम अवश्य करती है मगर पदाधिकारी और इनके बिचैलियों द्वारा किसानों का दोहन इतना करते है कि किसान बेहाल हो जाता है। किसानों की स्थिति दिनों दिन इसी सब कारनों से बदहाल होती जा रही है। सरकार द्वारा एक क्वींटल धान पर तीन सौ रुपएा अनुदान के रुप में दिया जा रहा है लेकिन इसका फायदा किसानों को नही मिल बिचैलिया उठा रहे है। जिससे किसानों का हालत दयनीय हो गई है। चकाई प्रखंड में अधिकांश किसान अपने जरुरत मंद कामों के लिए पहले ही धान बेच चूके है। सरकारी धान क्रय केंद्र बाद में खुला है। आज इस केंद्र में झारखंड राज्य के कई गांवों के किसानों का धान बिचैलियों के द्वारा खरीदकर चकाई धान क्रय केंद्र लाया जा रहा है और उसे पदाधिकारी आराम से खरीद रहे है। माने या नही माने यहां के किसानों का जो धान बचा हुआ है उसे पैक्स अध्यक्षों द्वारा नही खरीदकर बिचैलियों के मारफत खरीददारी कर अपना कोरम पूरा कर रहे है। किसान चुन्ना राय, बाबुमनी सिंह, पप्पु राय, सुबल पांडेय आदि किसानों ने अपना धान ट्रेक्टर पर लादकर एंव आवश्यक कागजी खानापूर्ति कर चकाई स्थित धान क्रय केंद्र पर ले जाया गया मगर इन लोगों का धान क्रय केंद्र में बहाना बनाकर नही लिया गया। लेकिन धान क्रय केंद्र परिसर में सैकड़ों ट्रेक्टर पर लदे धान को क्रय केंद्र के पदाधिकारी आराम से लेकर गोदाम में रखते जा रहे है। सरकार द्वारा किसानों को दिया जा रहा अनुदान किसान नही बिचैलिया उठा रहे है। सभी पैक्स अध्यक्ष किसानों का कागजात बनाकर झारखंड राज्य के सीमावर्ती ईलाकों से धान खरीदकर लाते है और किसानों के नाम पर धान बेचते है। इससे यहां के किसानों को अनुदान का लाभ नही मिलता है। लेकिन बिचैलिया अवश्य मालोमाल हो रहे है। इसे देखने वाला तक कोंई नही है। जब इस बाबत बीसीओ शैलेश कुमार से पुछे जाने पर बताया कि पैक्स अध्यक्षों द्वारा अपने -अपने पंचायत के किसानों के नाम पर यहां धान लाते है और उसे धान क्रय केंद्र में देते है। मुझे कुछ भी पता नही है कि यह धान झारखंड राज्य का है या बिहार के चकाई प्रखंड का । मगर जिस हिसाब से धान का आवंटन हो रहा है उससे अंदाज लग रहा है कि पैक्स अध्यक्षों द्वारा अवश्य ही कोई कारनामा किया जा रहा है।वजह चाहे जो भी हो यहां के किसानों का धान का खरीद नही हो रहा है। जिससे किसानों की हालत माली होती जा रही है।
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