गरिराज ने पूछा : नीतीशजी, अपमान सहकर कुर्सी से चिपकने की कैसी मजबूरी?

अशोक सिंघल
बिहार में दर्जनों संगीन आरोपों से घिरे बाहुबली और आरजेडी के सबसे बड़े नेताओं में शुमार शहाबुद्दीन की जमानत पर रिहाई पर बवाल मचा हुआ है. 11 साल बाद जेल की चारदीवारी से बाहर आकर शहाबुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार कई जुबानी हमले किए. वहीं महागठबंधन सरकार में शामिल आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने चुप्पी साधे रखी. इसको लेकर बीजेपी ने कई सवाल उठाए हैं. केंद्रीय इस्पात मंत्री गिरिराज सिंह ने महागठबंधन पर सवाल उठाते हुए सीएम नीतीश कुमार से बिहार को बचाने के लिए शहाबुद्दीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. आज तक से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपमान सहकर भी किस मजबूरी में कुर्सी से चिपके हैं? यह बड़ा सवाल है.

सवाल- गिरिराजजी, नीतीश कुमार ने आज कहा है कि जिस ढंग से शहाबुद्दीन उनपर हमला कर रहे हैं या बयान दे रहे हैं, उस पर लालू प्रसाद की चुप्पी से वह बहुत दुखी हैं. उनको बोलना चाहिए था?
गिरिराज सिंह – नीतीशजी मेरे मुख्यमंत्री हैं और मैं उनके मंत्रिमंडल में रह चुका हूं. मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन मैं नीतीशजी से पूछना चाहता हूं कि कौन सी मजबूरी है? क्या कुर्सी आपके लिए इतना महान हो गया कि आप सौ प्याज भी खाइए और सौ आगे भी खा रहे हैं. आपने कहा कि शहाबुद्दीन पर दोबारा सीसीए लग सकता है. क्या आपके लिए बिहार प्राथमिकता है या आपका सम्मान, आपकी कुर्सी? आप शराबबंदी कानून के लिए बड़े से बड़ा वकील खड़ा कर सकते हैं. क्या बिहार के लिए नहीं कर सकते. एक अपराधी जिसकी वजह से कई मां और कई पत्नियां दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहे हैं. क्या ऐसे शख्स के लिए आपको कोर्ट में कोई बड़ा वकील नहीं मिला? राज्य की जनता आपको शंका की निगाह से देख रही है. आप कुर्सी की खातिर कदम उठाएंगे या बिहार के लिए कदम उठाएंगे.

सवाल – गिरिराजजी, नीतीश कुमार को लेकर जिस तरह से शहाबुद्दीन बोल रहे हैं. उनको क्या करना चाहिए? सवाल उठ रहे हैं कि दोबारा जंगलराज आ गया, अपराधी बाहर है. इन तमाम बातों को आप किस तरह से देखते हैं?
गिरिराज सिंह – मैं क्यों सलाह दूं? मैं तो उस वक्त भी कह रहा था कि चुनाव के वक्त यह बेमेल गठबंधन है. यह अराजकता के साथ गठबंधन है. आज बिहार में जंगलराज है. नीतीशजी उसके प्रोटेक्शन में खड़े हैं. यह सत्ता की भागीदारी के लिए गठबंधन हुआ था. बिहार के भविष्य के लिए नहीं हुआ था. अब देश की जनता और बिहार की जनता यह देखना चाहती है. कहां गया नीतीश कुमार का सुशासन, कहां गया उनके सुशासन का वह चेहरा? उनको बताना पड़ेगा कि वह कुर्सी की खातिर समझौता कर रहे हैं. उनका और सीएम पद का जो अपमान हुआ है उसके लिए वह क्या कर रहे हैं. बिहार के लिए भी उनको कुछ करना है या नहीं?
साभार : आजतक






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