नीतीश परिस्थितियों नहीं, गठबंधन के मुख्यमंत्री, बिहार में कायम रहेगा कानून का राज: शरद यादव
अशोक सिंघल।
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता शरद यादव ने उन आशंकाओं को खारिज किया है, जिसमें कहा गया कि शहाबुद्दीन के जेल से छूटने से सूबे में कानून व्यवस्था पर असर पड़ेगा. यादव ने इसके साथ ही यह भी कहा कि शहाबुद्दीन के यह कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. शरद ने कहा कि नीतीश कुमार गठबंधन के नेता हैं और राज्य में जिस सख्ती से कानून का पालन होता आया है, उसी सख्ती से होता रहेगा. ‘आज तक’ से खास बातचीत में शरद यादव ने कहा कि जनता आश्वस्त रहे, बिहार में कानून का राज स्थापित करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.
शरद यादव से बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल- शहाबुद्दीन जेल से छूटने के बाद एक बयान दे रहे हैं, जिसमें वह नीतीश कुमार को टारगेट कर रहे हैं. आप इसे किस ढंग से देखते हैं?
जवाब- एक बात जान लीजिए. राज्य में कानून का राज पहले भी था, अब भी है और आगे भी रहेगा. कानून तोड़ने वाले को पहले भी सख्त सजा दी जाती थी और आगे भी कोई कानून तोड़ेगा तो उसको भी सख्त सजा दी जाएगी. नीतीश कुमार के बारे में किसी के बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ता. वह गठबंधन की सहमति से नेता हैं. किसी के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
सवाल- क्या राज्य में डर, आतंक और जंगलराज दुबारा से होगा? कितनी परेशानी होने वाली है नीतीश कुमार को शहाबुद्दीन के बाहर आने से?
जवाब- एक बात गलत कह रहे हैं. उनके कहने से क्या होता है. मैं आप को कह रहा हूं सरकार जिस सख्ती से चलती थी, उसी सख्ती से चलेगी. कानून का राज स्थापित करने के लिए जो ताकत और जो सख्ती है, पूरा गठबंधन उसके साथ रहेगा.
सवाल- शहाबुद्दीन कह रहे हैं कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं और लालू प्रसाद यादव मेरे नेता हैं. उन्होंने मधु कोड़ा से नीतीश कुमार की तुलना भी की है?
जवाब- यह जरूरी नहीं है कि कोई भी आदमी कुछ भी बोलेगा उसका जवाब देना जरूरी है. जवाब मैंने दे दिया है. बिहार की जनता को पूरी तरह से विश्वास दिलवाना चाहते हैं कि कानून का राज स्थापित करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.
सवाल– शहाबुद्दीन के छूटने में बिहार सरकार की तरफ से कोई लीगली कमजोरी रही है. इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि कमजोर वकील पेश हुआ. इस वजह से वह बाहर आ गए?
जवाब– नहीं नहीं, यह तो विपक्ष के लोगों का एक तरीका है. वह आज की बात नहीं है. जिस दिन से यह सरकार बनी है, जिस दिन से गठबंधन जीता है, उस दिन से हर रोज बयान देते हैं. हर रोज बयान में आलोचना के सिवा कुछ नहीं करते. इसलिए यह बात भी विरोधियों के आलोचना करने का एक तरीका है.
साभार आजतक
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