12 साल की उम्र में पिता की पिटाई से नाराज होकर बना माओवादी, आईईडी ब्लास्ट में था एक्सपर्ट

ghar_of naksaliशंकर सिंह. पटना.औरंगाबाद के सोनदाहा जंगल में सोमवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान कोबरा जवानों ने जिन तीन नक्सलियों को ढेर किया था, उनमें एक की पहचान हार्डकोर नक्सली प्रिंस उर्फ जितेन्द्र उर्फ बॉस के रूप में की गई है। प्रिंस भाकपा (माओवादी) का सब जोनल कमांडर था और झारखंड में उसपर दस लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। गया-औरंगाबाद जिले की सीमा पर डुमरी नाला पहाड़ी इलाके में सोमवार को हुई मुठभेड़ में आमस थाने के भूपनगर गांव का रहने वाला नक्सली प्लाटून कमांडर जितेन्द्र भुइयां उर्फ प्रिंस 12 साल की उम्र में ही मकई के खेत में काम न करने के कारण अपने पिता रामस्वरूप भुइयां की पिटाई के बाद नाराज होकर माओवादी संगठन में शामिल हो गया था। हालांकि इसके बाद उसके पिता ने कई बार उसे घर लाने की कोशिश भी की, लेकिन वह वापस नहीं लौटा और अंतत: सोमवार को पुलिस की गोली का शिकार हो गया। वह पांच राज्यों के वांछित और करीब ढाई दशक से पुलिस के लिए चुनौती बने विजय यादव उर्फ संदीप के अधीन प्लाटून कमांडर था।

मृतक नक्सली की एक साल की बेटी है, घर की हालत है नाजुक
मृतक नक्सली की एक साल की बेटी है। पत्नी का नाम सुनीता देवी उर्फ गुड़िया है जो कुछ बोलने से बच रही है। घर की हालत भी जर्जर है। परिजन बदहाल जिंदगी जी रहे हैं। पांच भाई मजदूरी करने के लिए मुंबई और सुरत में रहते हैं।
राइफल चलाने में था एक्सपर्ट
लातेहार में प्रशिक्षण के दौरान वह राइफल चलाने और आईडी ब्लास्ट करने में माहिर हो गया था। वह अचूक निशानेबाज था। इसी गुण के कारण वह लातेहार, जपला, छतरपुर, चतरा, लावालौंग आदि क्षेत्रों में प्लाटून कमांडर रह चुका है। इधर दो सालों से वह संदीप यादव की सुरक्षा में तैनात था।
परिजनों ने 2005 में कर दिया था विवाह
मृतक नक्सली के पिता ने बताया कि नक्सलियों के साथ भागकर लातेहार चला गया। वहीं, उसने हथियार चलाने और बम ब्लास्ट करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। कुछ सालों के बाद उसे मना कर घर लाया और गुरुआ थाना के पेंदापुर गांव में साल 2005 में विवाह कर दिया। वह कुछ दिन घर में रहा और पुनः नक्सलियों के साथ चला गया।
बचपन से ही उदंड स्वभाव का था
प्रिंस के पिता रामस्वरूप भुइयां ने बताया कि वह छः भाई में पांचवें नंबर पर था। बचपन में ही मां की मौत के बाद वह थोड़ा उदंड हो गया था। किसी की बात नहीं सुनता था।

source : with thanks from bhaskar.com






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