एक साल पहले खो गई थी कहीं, अब डाक विभाग ने मिलवाया
शेखपुरा। पाकिस्तान से आई गीता के परिवार अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। यहां तक कि ए भी नहीं पता लग पाया कि वो कहां की है। ऐसा ही मामला बिहार के शेखपुरा में भी सामने आया, लेकिन यहां डाक विभाग ने एक महिला विमला को गीता बनने से बचा लिया। बता दें कि यह महिला अभी महाराष्ट्र में एक एनजीओ के पास है और उसे लाने परिजन रवाना हो चुके हैं। तीन साल के बच्चे सहित परिजनों से बिछड़ने वाली विमला मानसिक रूप से कमजोर थी और कभी कभार अपने गांव भदेली का ही नाम बता पाती थी। वह महाराष्ट्र के रत्नागिरि के एक एनजीओ संचालक की निगरानी में थी।
महिला की भाषा से यह पता चला कि वह बिहार की रहने वाली है तो एनजीओ ने डाक विभाग से भदेली गांव का पता लगाने का आग्रह किया। डाक विभाग ने सभी प्रमंडलों को इस बारे में सूचना दी तो भदेली गांव के बारे में तहकीकात शुरू हुई। मुंगेर के प्रमंडलीय डाक अधीक्षक जेपी सिंह ने बताया कि जब स्पष्ट हो गया कि भदेली शेखपुरा जिले में है तो वहां के स्थानीय डाकिया को इस महिला के बारे में जानकारी लेने के लिए गांव भेजा गया। उन्होंने बताया कि सूचना मिली कि गांव के दामोदर पासवान की पत्नी अपनी दो साल की बेटी लाजवंती के साथ साल भर पहले बिछड़ गई थी। डाकिया को तहकीकात करने पहुंचे देखकर दामोदर के परिजनों की आंखें चमक उठीं। दामोदर की जब महाराष्ट्र में विमला से बात कराई गई तो साफ हो गया कि वह उसकी पत्नी है। उसके बाद परिजन उसे लाने के लिए खुशी-खुशी महाराष्ट्र रवाना हो गए।
उधर, बिछड़ी महिला के परिजनों से मिलने के मामले में डाक विभाग के सकारात्मक पहल की चर्चा हो रही है। मुंगेर प्रमंडल के डाक अधीक्षक जेपी सिंह को गांव के लोगों ने भी बधाई दी है।
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