कोई कहे पढ़ा दो, कोई कहे बचा लो, ऐसी है सुपर-30 के हीरो की जिंदगी

Book-on-Super-30-founder-Anand biharसुपर-30 के संस्थापक को भी आते हैं अजीबोगरीब अनुरोध पत्र
पति से प्रताड़ित महिलाएं भी मांगती हैं मदद
नई दिल्ली। गरीब एवं वंचित तबकों के बच्चों को आईआईटी जेईई के लिए तैयारी में मदद करने वाले सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार को अक्सर अजीबोगरीब अनुरोध मिलते हैं। ये अनुरोध, पति को पीटने वाली महिला के खिलाफ कार्रवाई करने या अपराध में गलत तरीके से दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बचाने जैसे होते हैं। बीजू मैथ्यू द्वारा ‘एक बार में 30 विद्यार्थियों की दुनिया बदलता सुपर-30’ शीर्षक से लिखी किताब में कहा गया है, लगभग हर दिन, 10 या इससे अधिक लोग अलग-अलग तरह के अनुरोध के साथ आनंद के पास आते हैं, जिसमें कोई अपने बच्चे को पढ़ाना चाहता है तो किसी को गलत तरीके से अपराध में दोषी ठहराया गया है। वे सभी सोचते हैं कि आनंद उनकी मदद कर सकते हैं, लेकिन वह असहाय हैं। आनंद जहां कहीं भी जाते हैं, बड़ी तादाद में युवा शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का हिस्सा बनने के उद्देश्य से उन्हें सुनने के लिए आते हैं। मैथ्यू लिखते हैं, कुछ लोग सोचते हैं कि आनंद एक बड़ी हस्ती है और अक्सर कुछ गरीब महिलाएं आनंद के पास आकर उनसे अपने नौ साल के बेटे को पढ़ाने की भीख मांगती हैं। ऐसे भी मामले देखने में आए हैं, जहां दहेज के लिए प्रताड़ित एक महिला ने आनंद से मदद मांगी।
आर्थिक तंगी से नहीं जा पाए कैंब्रिज
पेनगुइन बुक्स इंडिया द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में गणित के अध्यापक आनंद की जिंदगी को गहराई से खंगालने की कोशिश की गई है। आनंद ने विश्व में सबसे सफल पहल सुपर-30 स्थापित करने के लिए सभी चुनौतियों से पार पाने में सफलता हासिल की। पटना के गौड़िया मठ में जन्मे आनंद ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में जगह बनाई, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विश्वविद्यालय में नहीं जा सके और इसके बजाय शाम को पापड़ बेचे।






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