एकगंरसराय छात्र अपहरण: हत्या कारण फिरौती या रंजिश?

ऋतिक राजपहाड़ो के बीच पत्थरों पर बैठे इस मासूम की तस्वीर और चेहरे को गौर से देखे। क्या लगता है कि 13 वर्ष का यह मासूम और होनहार छात्र किसी का कुछ बिगाड़ सकता है।

विनायक विजेता

बेदर्द हत्यारों द्वारा बेरहमी से मार डाले गए एकंगर सराय निवासी सह चावल मिल व्यवसायी निरंजन साव के पुत्र ऋतिक ने कुछ माह पूर्व ही यह तस्वीर अपने फेसबुक के प्रोफाइल में डाली थी पर तब इस मासूम को यह पता नहीं था कि उसकी इस तस्वीर पर आने वाले ‘लाइक’ को देखने के लिए वह जिंदा नहीं रहेगा।
ऋतिक की हत्या उसके तीन परिचित मित्रों ने ही फिरौती के नाम पर पिछले रविवार को उसका अपहरण करने के बाद कर दिया। शर्मनाक तो यह है कि उसकी हत्या करने वाले हत्यारों में एक दीपू उसका ट्यूशन का दोस्त तो दूसरा कुंदन उसे एकंगरसराय स्थित अपने कोचिंग में ट्यूशन पढ़ाया करता था जिसने एक शिक्षक और छात्र के संबंध को कलंकित किया। तीसरा हत्यारा वह आशीष है जो गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को एकंगरसराय थाना से फरार हो गया। पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार नाबालिग हत्यारे दीपू कुमार यादव और पूरे मामले का मास्टर माइंड कुंदन कुमार को गुरुवार को हिलसा कोर्ट में पेश करने के बाद आगे की पूछताछ के लिए दो दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर ले लिया है। जबकि ‘जीम’ में जाने का शौकीन फरार आशीष की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।

फिरौती या रंजिश

इस पूरे प्रकरण पर अगर गौर किया जाए तो यह मामला फिरौती से ज्यादा किसी व्यक्तिगत रंजिश से जुड़ा दिखायी पड़ रहा है। जिस बेदर्दी से हत्यारों ने पत्थरों से कुचलकर ऋतिक की हत्या की वह यह जाहिर करता है कि हत्यारे त्रतिक से किसी मामले को लेकर काफी खफा थे और उसे तड़पा-तड़पाकर मारना ही उसका ध्येय था।

बिहार के पेशेवर अपहर्ता भी 50 लाख जैसी भारी फिरौती किसी साधारण व्यवसायी से नहीं मांगते जबकि ऋतिक के निमोछिए और पहली बार गंभीर अपराध कर रहे अपहर्ता और हत्यारों ने ऋतिक की हत्या करने के बाद 50 लाख की फिरौती की मांग उसके पिता से की। मान लिया जाए कि अपहर्ताओं द्वारा मांगी गई फिरौती की राशि की अदायगी किसी तरह उसके पिता कर भी देते तो ऋतिक से पूर्व परिचित हत्यारे क्या अपनी पहचान सार्वजनिक होने के लिए ऋतिक को सकुशल छोड़ देते।

पुलिस को चनौती

अपहरण के दिन ही ऋतिक की हत्या कहीं न कहीं से कोई दूसरी कहानी बयां कर रहा है जिसके तह तक जाना पुलिस के लिए एक चुनौती है। बीते 15 वर्षो में बिहार में अपहरण के ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिस अपहरण में परिचित और निकट लोगों का हाथ रहा है पर कुछ अपवाद जिसमें पुलिस को अपृह्त को छुड़ाते हुए परिचित अपहर्ताओं को दबोचन में कामयाबी मिली को छोड़ अपहर्ताओं ने पहचान के डर से अपृह्त की हत्या कर दी।

इनमें ज्यादातर शिकार स्कूली और पटना में रहकर कोचिंग करने वाले छात्र ही बने। रहस्यमय रुप से बिहार से गायब कई छात्रों का तो अबतक पता नहीं है। बहरहाल एकंगरसराय पुलिस के लिए इस मामले में दो चुनौतियां सामने है पहला इस मामले की तह तक जाकर हत्या के मूल कारण को जानना और दूसरा ‘बॉडी बिल्डर’ फरार नामजद आरोपित जो थाने से सिपाही को धक्का देकर फरार हो गया उसकी हर हाल में गिरफ्तारी का। with thankx from naukarshahi.com






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