मायानगरी में गाड़े सफलता के झंडे, लेकिन अपने ही राज्य में रहे फ्लॉप
पटना.फिल्मों के जरिए बॉलीवुड में सफलता का परचम फहराने वाले प्रकाश झा को अपने ही स्टेट में एक पर एक नाकामयाबी झेलनी पड़ रही है। प्रकाश बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले से हैं और हिन्दी फिल्मों के नामचीन डायरेक्टर्स में शुमार किए जाते हैं। इन्होंने बिहार में न्यूज चैनल के कारोबार से लेकर दो बार चुनाव में हाथ आजमाया पर हर बार नाकामयाबी झेलनी पड़ी। अब एक ताजा मामले में उनके पी एंड एम मॉल की जमीन की लीज रद्द कर दी गई है। 7 फरवरी 2010 को प्रकाश झा ने मौर्या टीवी के नाम से एक न्यूज चैनल लांच किया था। लेकिन लगातार 3 साल घाटे में रहने के बाद अक्टूबर 2013 में जी मीडिया ग्रुप ने इस चैनल को खरीद लिया था। प्रकाश झा का सपना सांसद बनने का था। उन्होंने दो बार अलग-अलग पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ा। पहली बार साल 2004 में प्रकाश ने पश्चिमी चंपारण से लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। दूसरी बार साल 2014 में एक बार फिर उन्होंने जदयू के टिकट पर बेतिया से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा हाथ लगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्मों में काम करने के लिए जब प्रकाश झा दिल्ली से मुंबई गए तो उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। प्रकाश के पास इतने भी पैसे नहीं थे वे अच्छा खा सके और रूम रेंट दे सके। प्रकाश ने कई रातें जुहू बीच के फुटपाथ पर गुजारी थी। असल जिंदगी को ध्यान में रख कर फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा ने 1985 में बॉलीवुड एक्ट्रेस दीप्ति नवल से शादी की थी। इसके बाद इन्होंने एक बेटी को गोद भी लिया था, जिसका नाम दिशा रखा। प्रकाश झा का एक बेटा प्रियरंजन भी है। हालांकि, आपसी मतभेदों के कारण वर्ष 2002 में दोनों अलग हो गए और 2005 में तलाक ले लिया। दीप्ति ने बतौर पेंटर इन सर्च आॅफ स्काय, रोड बिल्डर्स और शेड्स आॅफ रेड तस्वीर श्रृंखलाओं के माध्यम से अपनी फोटोग्राफी का हुनर दिखाया था।
प्रकाश झा ने अपनी पढ़ाई बोकारो शहर के केंद्रीय विद्यालय नं.1 और कोडरमा जिले के तिलैया में स्थित सैनिक स्कूल से की। बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से बी.एस.सी. में आॅनर्स किया। इसके बाद उन्होंने डिसाइड किया था कि वे मुंबई जाकर पेंटर बनेंगे। इसके लिए उन्होंने जेजे स्कूल आॅफ आर्ट्स ज्वाइन किया और इसी दौरान उन्होंने फिल्म ह्यड्रामाह्य की शूटिंग देखी और फिर अपना फैसला बदला।
1974 में अपने प्रोफेशनल कोर्स के बीच में ही प्रकाश ने फिल्मों पर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होंने 1975 में अपनी पहली डॉक्युमेंट्री फिल्म अंडर द ब्लू बनाई। उन्होंने ह्यफेसेज आफ्टर स्टॉर्मह्य जैसी कई राजनीतिक डॉक्युमेंट्री भी बनाईं। इन फिल्मों ने बतौर बेस्ट नॉन फीचर फिल्म, नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी जीता।
चर्चा में क्यों : नीतीश ने की प्रकाश झा के मॉल की लीज रद्द
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