बिना प्रोफेसर कैसे बनते हैं बिहार में डॉक्टर!
बिहार कथा.पटना। बिहार के मेडिकल कॉलेजों में कैसे होगी पढ़ाई। इन कॉलेजों के बेसिक साइंस के आठ विभागों में शिक्षकों की 38 फीसदी कमी है। इस पर मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआई) चिंतित है। एमसीआई गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। बिहार समेत अन्य राज्यों से एमसीआई को भेजी गई रिपोर्ट में इन विभागो में शिक्षकों की भारी कमी बताई गई है। एमसीआई में नए मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की न्यूतनम योग्यता पर 30 मार्च को विचार होगा। खासकर बेसिक साइंस के आठ विभागों में शिक्षकों की कमी के कारण पद खाली हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संसाधनों की कमी को लेकर अक्सर कोर्स की मान्यता पर अड़चन आती है। कई राज्यों ने एमसीआई को पत्र लिखा है कि मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता में संशोधन कर छूट दी जाए। इससे पढ़ाने में सुविधा होगी। इसी पर 30 मार्च को एमसीआई की कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है। इस दिन बड़ा बदलाव हो सकता है। नए मेडिकल कॉलेजों को खोलने में राहत मिल सकती है।
स्थाई मान्यता लंबित: बिहार में आठ मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस की स्थाई मान्यता का मामला एमसीआई में अभी फंसा हुआ है। सिर्फ एनएमसी को सौ सीटों पर एमबीबीएस कोर्स की मान्यता मिली है। जिनमें है शिक्षकों की कमी: एनाटामी, फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एफएमटी, पीएसएम, फामार्कोलॉजी।
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