आओ बतायें क्या बिहार में है जंगल राज

फोटो साभार बिजनस स्टैंडर्डमहागठबंन सरकार के गठन के दो महीने दस दिन हो चुके हैं. भाजपा सत्तर दिनों के राज को पानी पी-पी के जंगलाराज  कह रही है. नवल शर्मा उसके इन आरोपों का तर्कपूर्ण जवाब दे रहे हैं.

बिहार में बीजेपी का जंगलराज का जुमला इन दिनों जोर पर है । बीजेपी जब से सत्ता से हटी है , वह इसी जुमले के सहारे अपने लिए खाद-पानी खोजने की रणनीति पर काम कर रही है। विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इस मुद्दे का भरपूर ‘ पॉलिटिकल कल्टीवेशन ‘ किया पर जनता ने सिरे से नकार दिया । नयी सरकार बनने के बाद हाल के दिनों में घटी कुछ अप्रिय घटनाओं से बीजेपी की इस जुमलेबाजी की गति थोड़ी और तेज हो गयी है ।

तो जंगल राज लौट आया है? 

तो क्या वाकई बिहार में जंगलराज लौट रहा ? आइये देखते हैं ! अपराध दो तरह के होते हैं –पहला असंगठित और दूसरा संगठित । पहली श्रेणी में वे अपराध शामिल होते हैं जो जुगों जुगों से होते आये हैं और प्रायः इनके कारण होते हैं — व्यक्तिगत खुन्नस, सम्पति विवाद , आपसी रंजिश , व्यक्ति विशेष की मानसिक दशा आदि । इस तरह के अपराधों को आप प्रशासकीय नियमनों के जरिये नियंत्रित कर सकते हैं और नितीश सरकार ने इस दिशा में पहल की है । खासकर बिहार जैसे अर्ध -सामंती जकड़न वाले राज्य में भूमि सम्बंधों से उत्पन्न होने वाले विवादों के समाधान की दिशा में लैंड डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल से लेकर थानों में विशेष व्यवस्था करने तक, कई सारे उपाय बिहार सरकर ने किये हैं ।  बीजेपी नेताओं को इसकी भी चर्चा करनी चाहिए ।

अपराध बनाम जंगल राज

जहाँ तक संगठित अपराध का सम्बन्ध है , बिहार में यह न के बराबर है । संगठित अपराध का मतलब है ऐसा अपराध जिसके पीछे कोई पूरा गैंग हो और उस गैंग को राजनीतिक संरक्षण मिला हो । अगर उस गैंग का कोई व्यक्ति पकड़ा जाये तो तुरंत उसकी पैरवी पहुँच जाए । मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि आज यह स्थिति नही है।” बाहुबली ” ” गिरोह ” जैसे शब्द धीरे धीरे बिहार से लुप्त होते जा रहे हैं । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है राज्य के मुखिया का चीजों को देखने का नजरिया और घटना के बाद होनेवाली कर्रवाई।

बिना किसी अतिरंजना के आप यह मान सकते हैं कि नीतीशराज में कानून का डंडा सबपर उसी वजन से पड़ता है चाहे वह एक सामान्य व्यक्ति हो या फिर कोई माननीय।बिहार में कानून की नज़र में सभी बराबर हैं–यह बीजेपी के लिए जुमलेबाजी हो सकती है , पर नीतीश जी का पिछला प्रशासकीय इतिहास और हाल की घटनाओं पर उनके द्वारा उठाये गए क़दमों से बीजेपी को सीख लेने की जरुरत है ।

माननीय विधायक को भी नहीं बख्शा 

सत्ताधारी पार्टी के माननीय ( जदयू विधायक सरफराज आलम) पर छेड़खानी का आरोप लगा , तुरंत उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया ।पहले भी अगर कोई माननीय कानून के रास्ते में आये , सीधे सलाखों के पीछे पहुँच गए । तो इसे कहते हैं राज्य के मुखिया की इच्छाशक्ति । आगे बढ़ें । तो फिर बीजेपी की इस जुमलेबाजी का आधार क्या है ? इसका एकमात्र आधार है कि बिहार में होनेवाली घटनाओं को घालमेल कर इस रूप में पेश किया जाए कि लोगों में भय का माहौल बने और सरकार बदनाम हो जाए ।

 

मुझे लगता है बीजेपी को इस जुमले को फैलाने में अपनी ऊर्जा लगाने के बजाय जनता के बीच किसी रचनात्मक एजेण्डे को लेकर जाना चाहिए । नीतीश कुमार के रहते शायद ही उसका यह जुमला सफल हो पायेगा।

बिहार बनाम भाजपा शासित राज

दूसरी बात , आज मीडिया का ज़माना है , लोग जागरूक हैं , चीजों को देखते और समझते हैं ।लोग जानते हैं कि जो बीजेपी बिहार में जंगलराज का नारा दे रही है उसी बीजेपी की जहाँ जहाँ सरकारें हैं वहां लॉ ऐंड आर्डर बेहद शर्मनाक स्थिति में है और बिहार इस मामले में उनसे बहुत बेहतर है। लोग यह भी देख रहे कि नीतीश जी किसी दागी को मंत्री नहीं बनाते लेकिन बीजेपी के होनहार प्रधानमन्त्री जी की कैबिनेट में बलात्कार के आरोपी लोग भी मंत्री बने हुए हैं । अपहरण और बलात्कार का सिरमौर मध्यप्रदेश , नक्सली घटना का छतीसगढ़ , औरतों से छेड़खानी में दिल्ली और जंगलराज बिहार में? खैर , उनकी बात वो जानें । हम तो बस इतना जानते हैं कि ” बिहार में जब तक नीतीश कुमार हैं , जंगलराज की चर्चा ही बेकार है ”

naval.sharma-325x2171-325x217लेखक नवल शर्मा जनता दल यू के बिहार प्रदेश प्रवक्ता हैं. यहां व्यक्त उनकी राय निजी है. उनसेnawalsharma.patna@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है  from नौकरशाही डॉट इन 






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