एक हजार किलोमीटर के सफर ने छीन ली घड़ियाल की आजादी
निखिल अग्रवाल. कोलकाता। पटना प्राणी उद्यान में पैदा हुए एक युवा और बेहद संकटग्रस्त घड़ियाल को जंगल में रिहा तो किया गया था, लेकिन 1000 किलोमीटर की दूरी तैरकर इसके पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में पहुंच जाने के कारण इसकी आजादी अब एक बार फिर छिन गई है। नौ साल की इस मादा घड़ियाल को पिछले साल 24 अन्य मगरमच्छों के साथ वाल्मीकि बाघ अभयारण्य के पास गंडक नदी में छोड़ा गया था। इन्हें एक संरक्षण कार्यक्रम के तहत बिहार वन विभाग ने छोड़ा था। अब कारण तो कोई नहीं जानता, लेकिन यह घड़ियाल अगले कुछ ही माह में 1000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी को तैरकर पार करते हुए महानंदा नदी में पहुंच गया, जो कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में बहती है। गंडक और महानंदा गंगा नदी की सहायक नदियों के रूप में आपस में मिलती हैं। माल्दा जिले में स्थानीय मछुआरों ने घड़ियाल को देखा तो इस मांसाहारी जंतु से डरकर इस बात का शोर मचा दिया क्योंकि इस जंतु का नदी में दिखना आम बात नहीं थी। पश्चिम बंगाल वन विभाग के अधिकारियों ने तब इस जंतु को पकड़ा और पिछले अक्तूबर में कूचबिहार की रसिकबिल झील में रख दिया। अब इस मगरमच्छ की रिहाई पेचीदा मामला बन गई है क्योंकि अब यह राज्यों के बीच का मुद्दा बन गया है। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट आॅफ इंडिया के समीर कुमार सिन्हा ने कहा, उस जंतु के लिए यह अच्छा नहीं है। आठ साल तक बंधक बने रहने के बाद वह इतने समय तक प्रकृति में जीवित रहा। अब यह एक वन्यजीव है और यदि इसे वापस बंधक बनने के लिए विवश किया जाता है तो इसका अर्थ यह है कि आप इसकी जिंदगी खराब कर रहे हैं। हमने इसे जंगल में छोड़ा था ताकि नदी में जैव विविधता बढ़े। सिन्हा बिहार वन विभाग के साथ मिलकर घड़ियालों को विलुप्त होने से बचाने के लिए काम कर रहे हैं। ऐसा आकलन है कि इस प्रजाति के प्रजनन वाले लगभग 200 जीव ही आज वन्यक्षेत्र में बचे हैं। इस जीव को बेहद संकटग्रस्त घोषित किया गया है। डब्ल्यूटीआई पहले ही पश्चिम बंगाल वन विभाग से इस घड़ियाल को एक सुरक्षित वन्य स्थान पर छोड़ने की अपील कर चुका है। इस जंतु के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर बंगाल के प्रमुख वन्यजीवन संरक्षक प्रदीप शुक्ला ने पीटीआई भाषा से कहा, बिहार वन विभाग से पत्र मिलने के बाद हम जरूरी कदम उठाएंगे। हालांकि घड़ियाल के बिहार से पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में आने के पीछे की वजह अब भी रहस्य बनी हुई है। सिन्हा ने कहा, घड़ियालों के लिए लगभग 200 किलोमीटर तक सफर करना तो ज्ञात तथ्य है, लेकिन इस घड़ियाल ने आखिर 1000 किलोमीटर तक की यात्रा क्यों की, यह अब भी हमारे लिए रहस्य बना हुआ है। मानसून के दौरान आई बाढ़ इसकी एक वजह हो सकती है लेकिन हम इसे लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। वन्यजीवन विशेषज्ञों को सबसे ज्यादा उलझन तो इस बात को लेकर हो रही है कि घड़ियाल ने बंगाल पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा बहाव के विपरीत दिशा में की।
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