राजस्थान की फैक्ट्रियों में बैल से भी ज्यादा खटाये जा रहे बिहार के नाबालिग बच्चे
बिहार के 25 बाल श्रमिकों को राजस्थान के कारखाने से रिहा कराया गया
बिहार कथा. कोटा (राजस्थान)
यहां अनंतपुरा में एक ब्रेड कारखाने से 27 बाल श्रमिकों को रिहा कराया गया है। इसमें से अधिकांश बच्चे बिहार के हैं। पुलिस ने दावा किया है कि इन बच्चों की उम्र 14 साल से लेकर 17 साल के बीच है और इन्हें खतरनाक स्थितियों में दिन में 12 घंटे से अधिक काम करना पड़ता था। एक खुफिया सूचना के आधार पर कल मानव तस्करी विरोधी इकाई ने छापामारी की थी। इंस्पेक्टर कनिज फातिमा ने बताया कि मुक्त कराये गये 25 बच्चे बिहार से और दो उत्तर प्रदेश से हैं। इन्हें करीब दो महीना पहले एक निजी ठेकेदार लेकर आया था। फातिमा ने बताया, बच्चे खतरनाक स्थितियों में काम करते हुये पाए गये। ठंड होने के बावजदू उन्होंने पुराने और फटे कपड़े पहन रखे थे। उन्हें कम खाना दिया जाता था। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में ब्र्रेड कारखाने के मालिक और निजी ठेकेदार के खिलाफ अनंतपुरा थाना में एक मामला दर्ज किया गया है। इन बच्चों को बाद में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया जिसने उन्हें आश्रय गृहों में भेज दिया। हालांकि यह ऐसा पहला मामला नहीं है कि जब बिहार के बच्चों को अमानवीय स्थिति में राजस्थान से बंधन मुक्त कराया गया है। इससे पहले भी राजस्थान के चूड़ी फैट्रियां समेत अन्य कारखाने से नबालिग बच्चों को बंधन मुक्त कराया जा चुका है। सवाल है कि आखिर कौन हैं ये लोग जो अपने बच्चों को ठेकेदारों के भरोसे राजस्थान या दूसरे राज्यों में चंद रुपए के लालच में उनका बचपन सौंप दे रहे हैं। बाद में कभी सुध नहीं लेते कि उनके बच्चे कर क्या रहे हैं या किस हाल में है। जरा साचिए 14 से 17 साल की उमर ही क्या होती है, यह उम्र तो जिंदगी की नई उमंगों की अंगड़ाई लेने और सपने संजोकर उसे पर चलने की होती है। लेकिन इसी सुनहरे जीवन में मासूम नौनिहाल कोल्हू के बैल से भी ज्यादा देर अमानवीय स्थिति में खटाए जा रहे हैं।
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