फेल न करने की नीति को खत्म करने के पक्ष में बिहार

mid day mill bihar school child of primery classबिहार कथा.नई दिल्ली।
पिछली संप्रग सरकार द्वारा वर्ष 2009 में बनाए गए शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के एक महत्वपूर्ण प्रावधान यानि पहली से आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल न करने की नीति (नो डिटेंशन पॉलिसी) को खत्म करने के पक्ष में अब राज्यों ने केंद्र के साथ मिलकर एक स्वर में आवाज उठाना शुरू कर दिया है। बिहार समेत करीब 17 राज्य इस नीति को खत्म करने के पक्ष में है। जिन राज्यों ने फेल न करने की नीति को खत्म करने की सिफारिश की है। उनमें राजधानी दिल्ली, मध्य-प्रदेश, पंजाब, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, ओडिशा, हिमाचल-प्रदेश, राजस्थान, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, मिजोरम शामिल है। इसके अलावा इसी सूची में शामिल कर्नाटक ऐसा राज्य है, जिसने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से फेल न करने वाली नीति को बनाए रखने का अनुरोध किया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने इस मामले पर 22 राज्यों से लिखित में राय भेजने को कहा था। इसमें से अब तक मंत्रालय के पास कुल 18 राज्यों ने अपनी राय को लिखित रूप में भेज दिया है। इसमें केवल एक राज्य यानि कर्नाटक ऐसा है, जो चाहता है और उसने केंद्र से मांग भी की है कि इस नीति को खत्म ना किया जाए।
गौरतलब है कि फेल न करने की नीति को खत्म करने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने हरियाणा की तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की थी, जिसने बीते वर्ष हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में भी नीति को लेकर समिति ने जितने विचार-विमर्श और चर्चाएं की हैं, उनमें ज्यादातर इस नीति को समाप्त करने के पक्ष में हैं। अभी मंत्रालय में रिपोर्ट पर विचार-विमर्श चल रहा है।






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