राजेश कुमार ओझा. पटना. नीतीश मंत्रीमंडल ने शुक्रवार को शपथ ले ली। सरकार में 28 मंत्री हैं। इसमें कई नए चेहरे शामिल हुए, कई वरीय पुराने नेता को मंत्रीमंडल से बाहर रखा गया है। सरकार का इसपर कोई जवाब फिलहाल नहीं आया है। लेकिन नीतीश सरकार में मंत्री रहे श्याम रजक और पीके शाही को जगह नहीं मिलने को लेकर कई चर्चा भी सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो लालू ने इनके मंत्री पद पर अपना ब्रेक लगया है। लालू ने तो ललन सिंह के नाम पर भी अपनी असहमति जताई थी, लेकिन नीतीश के आग्रह पर लालू किसी प्रकार ललन के नाम पर राजी हुए।
श्याम रजक फुलवारीशरीफ से विधायक हैं। पहली बार राजद के टिकट पर ये फुलवारीशरीफ से चुनाव जीते थे। तब श्याम रजक और रामकृपाल यादव को लालू का हनुमान कहे जाते थे। समय बदला। लालू कमजोर हुए। सत्ता हाथ से निकल कर भाजपा और जदयू के पास चली गई। इसके साथ लालू के इन दोनों हनुमान की आस्था भी बदल गई। दोनों ने इनका साथ छोड़ दिया। एक जदयू में तो दूसरा भाजपा के साथ हो गए। जदयू और भाजपा ने भी इन दोनों को गले लगाने का अवसर हाथ से नहीं जाने दिया। इन दोनों को मंत्री पद से भी नवाज दिया गया। श्याम रजक ने भी नीतीश के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के लिए लालू पर जमकर वार किया। श्याम रजक ने तो आज से चार वर्ष पहले लालू को पागल करार देते हुए उन्हें पागलखाना भेजने तक बयान दिया था। श्याम के इस बयान को लालू आज तक भूल नहीं पाए हैं। लालू को आज भी वो बयान चूभता है।
लालू नीतीश की प्रदेश में सरकार बनने पर लालू ने श्याम के इस बयान का उल्लेख करते हुए श्याम के मंत्री पद पर ब्रेक लगा दिया। नीतीश ने लालू से आग्रह किया, लेकिन लालू नहीं माने। अन्ततः नीतीश कुमार ने श्याम रजक का नाम मंत्रीमंडल की सूची से हटा दिया।
कुछ ऐसा ही ब्रेक लालू ने नीतीश के खास माने जाने वाले पूर्व मंत्री पीके शाही पर भी लगाया। चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ के गबन मामले में 30 सितम्बर 2013 को रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू को पांच वर्ष की सजा सुनायी थी। लालू इस मामले को लेकर पी के शाही से नाराज थे।
तब लालू ने सजा सुनाए जाने के कुछ दिन पहले विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवेश कुमार सिंह को पी के शाही का रिश्तेदार और सही न्याय नहीं मिलने की अपनी अशंका भी जाहिर किया था। लालू की इस अर्जी को उपरी आदालत ने खारिज कर दिया था। लगभग ढाई माह तक रांची के बिरसा मुंडा जेल में रहने के बाद जब लालू जमानत पर जेल से रिहा हुए तभी उन्होंने नीतीश के इन मंत्री को अपना टारगेट बना लिया था। मौका मिलते ही वे इन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया।
लालू प्रसाद के निशाने पर तो ललन सिंह भी थे। ललन सिंह ने ही शुरुआती दौर में लालू के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था। ललन सिंह अक्सर चारा घोटाला के बहाने लालू पर हमला किया करते थे। लालू को यह याद था, वे इनका भी विरोध कर रहे थे। लेकिन नीतीश कुमार ने किसी प्रकार से ललन को मंत्रीमंडल में शामिल करवाने को लेकर लालू को मना लिया और उन्हें जल संसाधन मंत्री का पद भी मिला।
पीके शाही फिर बन सकते हैं महाधिवक्ता
कैबिनेट बैठक में दो और निर्णय हुए। राज्यपाल के अभिभाषण को मंजूरी मिली और नए महाधिवक्ता की नियुक्ति करने के लिए सीएम को अधिकृत किया गया। पीके शाही फिर महाधिवक्ता बन सकते हैं। मंत्री बनने से पहले भी वे महाधिवक्ता थे। इस बाबत शाही ने कहा- अभी मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह पूछने पर कि प्रस्ताव आया तो स्वीकार करेंगे, कहा- पहले आने तो दीजिए। वर्तमान महाधिवक्ता रामबालक महतो ने नई सरकार बनने के साथ ही इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है। from bhaskar.com
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