भू्रण परीक्षण करने वाले 212 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक का पंजीकरण रद्द, 148 सील
पटना। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि प्रदेश में भू्रण परीक्षण में संलिप्त रहे 212 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक का पंजीकरण रद्द किया तथा 148 को सील कर दिया गया है। बिहार विधान परिषद में भाजपा सदस्य बैधनाथ प्रसाद द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए रामधनी सिंह ने बताया कि बिहार में अन्य राज्यों की तुलना में लिंगानुपात अपेक्षाकृत अधिक है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा कन्य भू्रण हत्या को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पीसी पीएनडीटी एक्ट 1994 के प्रावधानों का किसी भी अल्ट्रासाउंड क्लीनिक द्वारा यदि उल्लंघन या भू्रण परीक्षण करने वाले के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्री ने बताया कि इसके तहत अब तक 212 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक का पंजीकरण रद्द किया गया है तथा 148 को सील का दिया गया है। भाजपा सदस्य हरें्रद प्रताप पाण्डेय द्वारा पूछे गए एक अन्य तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रति 108 एम्बुलेंस सेवा पर प्रति माह एक लाख 40 हजार रूपये का खर्च आता है, लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष 2014-15 में भारत सरकार द्वारा मात्र 20 हजार रूपये प्रति माह प्रति एम्बुलेंस की दर से राशि स्वीकृत की गयी है। उन्होंने कहा कि निधि के अभाव में भुगतान नहीं हो पाने के कारण यह सेवा प्रदेश के 14 जिलों में प्रभावित हुई है। वर्तमान में इस सेवा के सुगम संचालन के लिए विभाग द्वारा डीएफआईडी मद से राशि स्वीकृत की गयी है और भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रदेश में पिछले दो सालों से एम्बुलेंस सेवा बंद है तथा मंत्री का केंद्र द्वारा राशि कटौती का आरोप गलत है और सरकार को राशि का प्रावधान कर इस सेवा को तुरंत शुरू करना चाहिए।
भाजपा सदस्य कृष्ण कुमार सिंह के अल्पसूचित प्रश्न का उत्तर देते हुए रामधनी सिंह ने बताया कि गत वर्ष सात नवंबर से धुआं रहित तम्बाकू उत्पादों, पान मसाला, गुटखा, जर्दा और सुगंधित सुपारी के भंडारण, परिवहन और बिक्री को प्रतिबंधित किया गया था। उन्होंने बताया कि गत 23 दिसंबर को पटना उच्च न्यायालय द्वारा एक मामले की सुनवाई के क्रम में उक्त आदेश पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रूप से रोक लगायी गयी थी जिसके खिलाफ बिहार सरकार ने गत 31 जनवरी को उच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गयी है। मंत्री यह स्वीकार किया कि गत वर्ष सात नवंबर से प्रदेश में रहित तम्बाकू उत्पादों, पान मसाला, गुटखा, जर्दा और सुगंधित सुपारी के भंडारण, परिवहन और बिक्री को प्रतिबंधित किये जाने के पूर्व वर्ष 2013 में बिहार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर तम्बाकू पर टैक्स बढाकर 70 प्रतिशत करने के निर्णय की जानकारी दी थी तथा प्रदेश में तम्बाकू उत्पाद पर टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब सरकार ने स्वयं अदालत को सूचित किया कि वह तम्बाकू पर टैक्स बढाकर 70 प्रतिशत करने जा रही है तो ऐसे में इसे 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कैसे कर दिया गया। सदन में प्रतिपक्ष के नेता के यह पूछे जाने कि देश के अधिकांश राज्य तम्बाकू के सेवन में कमी लाने के लिए उस पर टैक्स बढा रही है लेकिन बिहार सरकार का उस पर टैक्स को घटाने का क्या औचित्य है, इस पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस प्रश्न को तत्काल स्थगित करते हुए मंत्री से कहा कि वह अपने विभागीय पदाधिकारियों की बैठक कर मामले की समीक्षा कर लें।
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