खाड़ी देश से मिट रही सीवान, गोपालगंज और सारण में गरीबी!

indina in baharinबिहार कथा. नई दिल्ली/पटना.
विदेशों में कमाई कर अपने देश पैसा भेजने (ग्लोबल रेमिटेंस) वालों में भारतीय अव्वल हैं। साल 2014 में विदेशों में नौकरी और कारोबार करने वाले भारतीयों ने कुल 70 अरब डॉलर भारत भेजे हैं। वहीं सर्वाधिक पैसा 37 अरब डॉलर खाड़ी देशों से आया है, जहां बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक रहते हैं. खाड़ी देशों से भेजा जा रहा यह पैसा देश से गरीबी दूर करने में भी बड़ी अहम भूमिका निभा रहा है। इसमें बड़ी संख्या में बिहार के भी लोग हैं। एक तरह से कहें तो बिहार के खासकर सारण क्षेत्र के लाखों लोग खाड़ी देशों में काम कर अपनी बदहाल दूर कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो गोपालगंज, सीवान और सारण क्षेत्र में गांवों में आई समृद्धि का एक बड़ा कारण खाड़ी देश से आने वाला पैसा भी है। विश्व बैंक की अप्रैल 2015 में आई रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत ने कुल 70 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया है. इस राशि में से अधिकांश 37 अरब डॉलर का रेमिटेंस खाड़ी देशों से प्राप्त किया गया है. खाड़ी देशों में भारतीय नागरिक लगभग 13 अरब डॉलर भेज रहे हैं तो वहीं साउदी अरब से लगभग 11 बिलियन डॉलर भारत आ रहा है.
खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय
मिली गैजेट के मुताबिक खाड़ी देशों की कुल जनसंख्या में लगभग 31 फीसदी भारतीय नागरिक हैं. कुवैत में कुल जनसंख्या में 21.5 फीसदी भारतीय हैं तो वहीं ओमान में लगभग 54 फीसदी भारतीय मागरिक हैं. सउदी अरब में कुल जनसंख्या में 25.5 फीसदी भारतीय हैं तो वहीं संयुक्त अरब अमीरात में 41 फीसदी भारतीय है.
क्यों खाड़ी देशों में इतने भारतीय
विश्व बैंक के मुताबिक खाड़ी देशों में सर्वाधिक भारतीय रहने के पीछे यूरोप में कमजोर आर्थिक विकास दर, रूस की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में यूरो और रूबल की गिरती कीमतें अहम वजह है।
रेमिटेंस के पैसे से दूर हो रही गरीबी
बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में काम कर रहे श्रमिकों का परिवार उनके द्वारा भेजे जा रहे पैसे पर आश्रित है. जहां गरीबी से तंग आकर लोग काम की तलाश में खाड़ी देश पहुंच रहे हैं वहीं उनकी कमाई का जो हिस्सा भारत आ रहा है उससे उनके परिवारो का स्तर बढ़Þ रहा है और वह अपनी नई पीढ़ियों को बेहतर जीवन के साथ-साथ शिक्षा मुहैया करा पा रहे हैं।






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